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ISRO ने लॉन्च किया देश का पहला सोलर मिशन, जानिए Aditya-L 1 मिशन से भारत को क्या होगा हासिल

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विकास कुमार
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के एक सप्ताह बाद ही इसरो ने सूर्य के अध्ययन के लिए एक मिशन लॉन्च कर दिया है। भारत का ये पहला सूर्य मिशन है और इसके द्वारा अंतरिक्ष में एक ऑब्जर्वेटरी स्थापित की जाएगी,जो पृथ्वी के सबसे नजदीक इस तारे की निगरानी करेगी और सोलर विंड जैसे अंतरिक्ष के मौसम की विशेषताओं का अध्ययन करेगी। इससे पहले नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी इसी मकसद से सूर्य मिशन भेजे हैं। जहां आदित्य एल 1 को पहुंचना है उसकी दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर है। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी है कि लॉन्च से लेकर एल1 तक पहुंचने में आदित्य एल-1 को लगभग चार महीने लगेंगे। आदित्य मिशन में जिस एल1 का नाम दिया जा रहा है वो लैगरेंज प्वाइंट है। यह अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है। यहां एक किस्म का न्यूट्रल प्वाइंट विकसित हो जाता है,जहां अंतरिक्ष यान के ईंधन की सबसे कम खपत होती है। इस जगह का नाम फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ लुईस लैगरेंज के नाम पर रखा गया है।

आदित्य एल वन मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यान कुल सात पेलोड्स लेकर गया है। इस मिशन में सूर्य के सबसे बाहरी सतह का अध्ययन किया जाएगा। सूर्य के बाहरी सतह को फ़ोटोस्फ़ेयर और क्रोमोस्फेयर के नाम से जाना जाता है। आदित्य एल वन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और पार्टिकिल फ़ील्ड डिटेक्टरों के जरिए सतह पर ऊर्जा और अंतरिक्ष की हलचलों को दर्ज करेगा। ये मिशन अंतरिक्ष के मौसम और अंतरिक्ष की हलचलों का अध्ययन करेगा। सोलर विंड यानी सौर प्रवाह का भी मिशन बारीकी से अध्ययन करेगा।

इसी सोलर विंड की वजह से पृथ्वी पर सुंदर उत्तरी और दक्षिणी प्रकाश की घटनाएं होती हैं। साथ ही ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विचलनों का भी अध्ययन करेगा। एक बार अपनी अंतिम कक्ष में पहुंचने के बाद इस ऑब्जर्वेटरी को सूर्य स्पष्ट और लगातार नजर आएगा। इस मिशन में सौर्य विकिरण का भी अध्ययन होगा जो कि पृथ्वी तक आते आते वातावरण की वजह से फ़िल्टर हो जाती है। इसरो को उम्मीद है कि यह मिशन कुछ ऐसी अहम जानकारियां देगा। जिससे सूर्य के बारे में हमारी समझदारी बेहतर होगी। कोरोना हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फ्लेयर के बारे में भी हमारी जानकारी में इजाफा होगा। इस मिशन से हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है,साथ ही भारत की वैज्ञानिक क्षमता का लोहा अब पूरी दुनिया मान रही है।

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