न्यूज़ डेस्क
यौन शोषण के खिलाफ धरने पर बैठे भारतीय पहलवानो के समर्थन में जहाँ पूरा देश खड़ा होता जा रहा है वही इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा के बयानों से पहलवानो को काफी निराशा हुई है। कई दिनों से धरने पर बैठे पहलवानो ने कहा है कि उषा को सबसे पहले महिलाओं के साथ खड़ा होना चाहिए जो उन्होंने नहीं किया। वे सम्मानित हैं लेकिन महिलाओं के साथ उन्हें खड़ा दिखना चाहिए। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया ,और जो बयां वह दे रही है उससे और भी निराशा हो रही है।
बता दें कि पहलवानों के धरने को लेकर पीटी उषा का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि पहलवानों को विरोध प्रदर्शन दोबारा शुरू करने के बजाए आईओए के पास आना चाहिए था। हमारा मानना है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए आईओए में समिति और एथलीट्स कमिशन है। सड़कों पर जाने के बजाए उन्हें हमारे पास आना चाहिए था, लेकिन वे आईओए के पास नहीं आए। उन्होंने कहा कि वे धरने पर बैठे हैं और सभी राजनीतिक दलों को शामिल होने के लिए कह रहे हैं और इसी बात ने मुझे निराश किया।
बता दें कि पहलवानों ने जंतर मंतर पर 23 अप्रैल को दोबारा प्रदर्शन शुरू कर दिया था। साथ ही आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है। अदालत इस मामले को देख रही है।
इस बीच जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने पीटी उषा के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। जंतर मंतर पर धरने पर बैठी पहलवान विनेश फोगट ने कहा कि अगर हम सड़क पर बैठे हैं तो हमारी कुछ मजबूरी रही होगी। चाहे खेल मंत्रालय है या आईओए किसी ने हमारी नहीं सुनी तब हम जनता के सामने आए हैं कि हमारी कोई नहीं सुन रहा है। पीटी उषा को हम खुद आइकन मानते थे। मैंने उनको फोन भी किया था कि मैं अपना दर्द साझा कर सकें पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। हम तीन महीने से इंतजार कर रहे हैं।
उधर ,बजरंग पूनिया ने कहा कि उषा महिला होते हुए महिलाओं का दुख नहीं समझ रही हैं। करीब तीन महीनों के बाद पहलवान फिर यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर जंतर-मंतर पर कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बृज भूषण शरण के खिलाफ धरना दे रहे हैं।
पूनिया ने कहा, “मुझे जब पीटी उषा मैडम की टिप्पणी के बारे में पता चला तो दुख हुआ, क्योंकि हम उन्हें अच्छा एथलीट मानते हैं। वह महिला होते हुए महिलाओं का दर्द नहीं समझ रही हैं। बीते तीन महीनों से हम न्याय का इंतजार कर रहे हैं और अब वे इसे अनुशासनहीनता बता रहे हैं। मुझे लगता है कि महिला होने के बाद भी वह एथलीट्स का दुख नहीं समझ रही हैं। मुझे दुख है।”