न्यूज़ डेस्क
भारतीय टीम के दिग्गज तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, शमी की पत्नी हसीन जहां ने इस क्रिकेटर की गिरफ्तारी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपनी याचिका में हसीन जहां ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें शमी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर सत्र न्यायालय की रोक को बरकरार रखा गया था।
भारत के क्रिकेटर मोहम्मद शमी की अलग रह रही पत्नी हसीन जहां ने एक स्पेशल लीव पिटिशन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि तेज गेंदबाज के सेक्स वर्कर्स के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते रहे हैं। यहां तक कि जब शमी विदेशी दौरों पर टीम के साथ होते थे तब भी वे होटल में अन्य महिलाओं से मिलते-रहते थे। हसीन जहां ने पहली बार 2018 में मोहम्मद शमी के खिलाफ घरेलू हिंसा और एडल्टरी के आरोप लगाए थे। हालांकि शमी ने लगातार अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया है। जनवरी 2023 में, कोलकाता की एक अदालत ने शमी को हसीन जहां को 50,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
हालांकि हसीन जहां इससे खुश नहीं थीं। भारतीय तेज गेंदबाज से प्रति माह 10 लाख रुपये की मांग की थी। हसीन जहां के साथ कानूनी लड़ाई में शमी काफी मुसीबतों का सामना किया है। शमी ने इस दौरान पुलिस पूछताछ और वारंट तक का सामना किया है। हालांकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड की हसीन जहां द्वारा शमी पर मैच फिक्सिंग में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद भी शमी को क्लीन चिट दे दी थी। टीम होटल में लड़कियां बुलाते हैं- सुप्रीम कोर्ट में हसीन जहां की नवीनतम याचिका में आरोप लगाया गया है शमी दहेज मांगते थे और वे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में शामिल थे। यहां तक कि जब वे भारतीय क्रिकेट टीम के साथ विदेशी दौरों पर शामिल होते थे तब भी उनके अफेयर चलते रहते थे।
गौरतलब है कि शमी की पत्नी ने अपने वकील दीपक प्रकाश, नचिकेत वाजपेयी और दिव्यांगना मलिक वाजपेयी के जरिए यह याचिका दायर करवाई है। इसमें आरोप है कि शमी उनसे दहेज की मांग करते थे और बीसीसीआई से जुड़े दौरों पर बोर्ड की तरफ से मुहैया कराए गए कमरों में वेश्याओं के साथ अवैध संबंधों में शामिल रहे।
याचिका में कहा गया है कि इस मामले में अलीपुर की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत की तरफ से 29 अगस्त 2019 को शमी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। हालांकि, शमी ने इस फैसले को सत्र न्यायालय के सामने चुनौती दी थी, जिसने गिरफ्तारी वारंट और पूरे मामले में आगे की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हसीन जहां ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उच्च न्यायालय ने भी गिरफ्तारी वारंट पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया।
हसीन जहां की याचिका में कहा गया है कि कानून के तहत किसी मशहूर हस्ती को कोई विशेष स्थान नहीं मिलना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट का आदेश साफ तौर पर कानून के लिहाज से गलत है, जो कि स्पीडी ट्रायल के अधिकार को तवज्जो देता है। उन्होंने कहा है कि क्रिकेटर के मामले में चार साल से मामला आगे नहीं बढ़ा है।