बीरेंद्र कुमार झा
मिजोरम विधानसभा के रुझानों में जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को बहुमत मिलता नजर आ रहा है। मिजोरम में शाम 4:00 बजे तक प्राप्त दलगत रुझानों के अनुसार वहां की 40 विधान सभा सीटों में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने सबसे अधिक 25 सीटें जीती है।वहीं वहां की सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट इस बार 10 सीटों पर सिमट गई और सत्ता उसके हाथों से खिसक गई। कांग्रेस को वहां इस बार दो सीटें प्राप्त हुई, जबकि भारतीय जनता पार्टी वहां इस चुनाव में तीन विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने में कामयाब रही। भारतीय जनता पार्टी को वहां पिछले चुनाव में सिर्फ एक सीटों से संतोष करना पड़ा था। इस बार उसने अपने सीटों की संख्या में दो सीटों का इजाफा किया है। मिजोरम विधानसभा के रुझानों को देखते हुए वहां इस बार जेडपीएम का सरकार बनना तय है।इस पार्टी के नेता लालदुहोमा वहां के मुख्यमंत्री बनेंगे।जानिए मिजोरम के आगामी मुख्यमंत्री लाल दोहोमा के बारे में।
1977 में बने थे आईपीएस
लालदुहोमा मिजोरम के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वह पिछले कुछ साल से मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्ति दिलाने की बात कहते आ रहे हैं। लालदुहोमा 1977 में आईपीएस बने और गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने तस्करों पर कई कार्रवाई की। इससे वह नेशनल मीडिया में छाने लगे। इनके अच्छे काम को देखते हुए 1982 में इन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में तैनाती दी गई।
1984 में पहली बार बने सांसद
इंदिरा गांदी की सुरक्षा में रहने के दो साल बाद ही लालदुहोमा ने 1984 में राजनीति में आने का फैसला किया।वह 1984 में सांसद बने। चार साल बाद ही 1988 में कांग्रेस की सदस्यता छोड़ने के कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य करार दे दिया गया। इस तरह लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बन गए।
2020 में विधानसभा की सदस्या भी गई
कांग्रेस छोड़ने के बाद लालदुहोमा ने जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (ZNP) की स्थापना की। उन्हें 2018 मिजोरम विधान सभा चुनाव में ZNP के नेतृत्व वाले ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।पर इन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करना स्वीकार किया। 2020 में दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में इनकी विधान सभा सदस्यता रद्द कर दी गई। भारत में राज्य विधानसभाओं में इस तरह का पहला मामला था। 2021 में हुए उपचुनाव में सेरछिप से वह फिर जीते।अब 2023 ईस्वी में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है।