न्यूज़ डेस्क
राजनीति में कुछ भी संभव है। कब दोस्ती है और कब दुश्मनी कोई नहीं जानता। समय और माहौल के मुताबिक समीकरण बनते हैं और बिगड़ते भी है। इसमें कोई शक नहीं कि मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी यूपी की राजनीति में बड़ी ताकत है और वह मुख्य विपक्षी भी है। अखिलेश यादव सपा के मुखिया हैं और यही सच है कि उनके बिना कोई कोई विपक्षी पार्टी कोई बड़ा खेल यूपी में नहीं कर सकती। सपा इंडिया गठबंधन के साथ है और सपा चाहती भी है कि जल्द ही सीटों का बँटवारा हो जाए ताकि अभी से ही रणनीति तैयार की जाए। हालांकि कांग्रेस भी यही चाहती है लेकिन कुछ रणनीति को लेकर मतभेद भी उभर रहे हैं। कांग्रेस की यूपी इकाई की अपनी तैयारी है और अभी जो उसके बोल निकल रहे हैं उससे भी सपा असहज हो जाती है।
उधर सपा ने एमपी में भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और सपा वहाँ 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारने को तैयार है। सपा छत्तीसगढ़ में भी मैदान में उतरेगी और इसका भी ऐलान वह कर चकी है। ऐसे में सपा गर चुनाव मैदान में जाती है तो बढ़ेगी और फिर बीजेपी को लाभ मिल सकता है। ऐसे में कांग्रेस के बीच अब यूपी की सीटों को लेकर भी द्वन्द खड़ा हो गया है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच सीटों के बंटवारे पर मतभेद के बीच सपा अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है। सपा ने 9 सीटों पर प्रत्याशी उतार दी है। अब जल्द एक सूची और जारी करेगी।माना जा रहा है कि सपा मध्य प्रदेश में 35 से 40 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। छत्तीसगढ़़ में भी इसका असर दिखेगा। वहां भी सपा 40 सीटो पर अकेले ही मैदान में उतरेगी। इससे यूपी में सपा कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कांग्रेस की कोशिश बिना ज्यादा सीटे दिए ही गठबंधन बनाए रखने की है। और चाहती है कि भाजपा को हराने में सपा कांग्रेस की मदद करे। कांग्रेस की दलील है कि सपा का कुछ सीटों पर मध्य प्रदेश मामूली सा जनाधार है। उसे इसी हिसाब से सीटें मांगनी चाहिए। उधर सपा के प्रांतीय नेता मान रहे हैं कि मिल कर चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं।
यूपी में इंडिया गठबंधन पर इसका असर पड़ सकता है। इंडिया गठबंधन के नेता मानते हैं कि यह गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए ही है। राज्यों में विपक्षी दल कितना एक साथ आ पाते हैं कि यह स्थानीय स्तर पर ही तय होना है, इसलिए मध्य प्रदेश में सपा और कांग्रेस चाले अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन यूपी में जब सीटों का बटवारा होगा तो उसमें मामूली मतभेद मायने नहीं रखेगा। दोनों दलों के बीच बना अविश्वास आने वाले दिनों में यूपी में असर दिखा सकता है। यहां सीट वितरण को लेकर सपा भी आक्रामक तेवर दिखा सकती है।
जानकार मानते हैं कि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अगर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता है और मध्य प्रदेश जीत लेती है तो वह यूपी व अन्य राज्यों में ज्यादा सीटों पर दावा करेगी। ऐसे में सपा के लिए यूपी में कांग्रेस के दावे को नजरंदाज करना मुश्किल होगा। अगर नतीजों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया तो कांग्रेस के लिए असहज स्थिति होगी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने प्रदेश में आईएनडीआईए में शामिल सपा से सीटों के बंटवारे पर कहा कि उनकी पार्टी किसी के भरोसे नहीं है। सभी 80 लोकसभा सीटों पर तैयारी चल रही है बाकी कांग्रेस नेतृत्व जो तय करेगा उस पर काम करेंगे। इससे संकेत मिले कि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ सकती है। इससे यही पता चलता है कि इंडिया गठबंधन का यूपी में असर पड़ सकता है।
उधर ,समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कानपुर में आल इंडिया यादव महासभा के सम्मेलन में पहुंचे। उन्होंने इंडिया गठबंधन के लिए कांग्रेस को अल्टीमेटम दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के बारे तय करना है कि यह बठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर होगा या प्रदेश स्तर पर। उन्होंने आगे कहा कि अभी प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं किया गया तो आगे भी प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं होगा।