अखिलेश अखिल
राजनीतिक गलियारों में कई तरह की कहानी तैर रही है। कुछ नेता यह कह रहे हैं कि शिंदे की सरकार अब किसी वक्त भी गिर जाएगी। बीजेपी अब शिंदे से अपना दमन छुड़ाना चाहती है। कहा जा रहा है कि शिंदे के जरिये बीजेपी महाराष्ट्र में जिस राजनीति को साधना चाहती थी ,वह संभव होता नहीं दिख रहा। बीजेपी की परेशानी यह है कि वह किसी भी सूरत में बीएमसी चुनाव और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है लेकिन शिंदे के रहते ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है।
बीजेपी को अंदाजा हो गया है कि जल्दी ही होने वाले बीएमसी के चुनाव में या अगले साल के लोकसभा चुनाव में शिंदे से उसे फायदा नहीं होगा। उसे फायदा तभी होगा, जब उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना उसके साथ रहे या एनसीपी के साथ गठबंधन हो। आखिर भाजपा को महाराष्ट्र की अपनी 23 और एनडीए की 41 लोकसभा सीटों की चिंता है। बीजेपी की यही चिंता महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के लिए जरुरी हो गई है। जिस तरह से कर्नाटक में बीजेपी की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है और चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में नहीं आते हैं तो महाराष्ट्र में कोई भी खेल हो सकता है। कहा जा रहा है कि अभी बीजेपी किसी भी सूरत में एनसीपी को अपने पाले में लाने की तैयारी कर रही है। संभव है कि बीजेपी का यह खेल सफल भी हो जाए।
बता दें कि पिछले तीन-चार महीने से बीजेपी के नेता और सोशल मीडिया में उसके समर्थक दावा कर रहे थे कि बिहार में महाराष्ट्र की कहानी दोहराई जाएगी। यानी जैसे महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे शिव सेना को तोड़ कर भाजपा ने उसी के नेता के नेतृत्व में सरकार बना दी वैसा ही कुछ बिहार में होगा। महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे जदयू को तोड़ कर भाजपा के साथ नई सरकार बनाने की बात हो रही थी। बिहार में तो ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटे महाराष्ट्र में बीजेपी के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई।
बीजेपी के नेता इस बात से चिंतित हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित शिव सेना के 16 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी तो क्या होगा? सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अभी 162 विधायक हैं, इस लिहाज से 16 विधायकों की सदस्यता जाने से भी सरकार अल्पमत में नहीं आएगी क्योंकि उसके बाद सदन 272 विधायकों का हो जाएगा और बहुमत का आंकड़ा घट कर 133 का रह जाएगा।
इसके बावजूद क्या कारण है कि भाजपा के नेता एनसीपी के अजित पवार को पटाने में लगे हैं? क्या कारण है कि संजय राउत दावा कर रहे हैं कि 15 से 20 दिन में सरकार गिर जाएगी? क्या महाराष्ट्र में कोई और कहानी लिखी जा रही है? ध्यान रहे सरकार बचाए रखने के लिए भाजपा को किसी की मदद की जरूरत नहीं है और एकनाथ शिंदे गुट ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर अजित पवार के साथ एनसीपी का एक गुट गठबंधन में आता है तो वे सरकार छोड़ देंगे। ऐसा लग रहा है कि भाजपा के लिए शिंदे की उपयोगिता नहीं रह गई है। लेकिन अब कोई भी खेल कर्नाटक चुनाव के बाद ही संभव हो सकता है।