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क्या जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन टूट जाएगा ?

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न्यूज़ डेस्क
 ठगिनी राजनीति के चरित्र के बारे में आखिर क्या भविष्यवाणी की जा सकती है ?जब नेताओं के चरित्र के बारे में ही कुछ नहीं कहा जा सकता तो फिर राजनीति के बारे में कौन क्या कहेगा ? यहाँ तो मिनट -मिनट पर बोल बदल जाते हैं। पद और पैसे की खातिर ईमान तुरंत बदल जाते हैं। जो नेता यह कहता है कि वह देश और समाज का हित चाहता है वह सबसे बड़ा समाज का अहित करता है और लुटाता भी है।

ऐसे में नेताओं के बोल के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। जम्मू कश्मीर में भले ही एनसी और कांग्रेस की बड़ी जीत हुई है लेकिन अब एनसी कांग्रेस से ज्यादा निर्दलीय विधायकों पर ज्यादा निर्भरता चाहती है ताकि अपने मन मुताबिक सरकार चलाई जा सके। कांग्रेस अभी मौन सी हो गई।  

विधानसभा चुनाव में 42 सीटें जीतने वाली नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन की सरकार में होने के बाद भी अपनी शर्तो पर सरकार चलाने की राह पर चल रही है। गठबंधन सहयोगी कांग्रेस, सीपीआईएम और आप पर कम से कम निर्भरता हो इसके लिए नेकां अपने साथ निर्दलीय विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है ताकि व अपने दम पर सरकार चला सके।

नेकां गठबंधन के सहयोगी के कम से कम हस्तक्षेप के बिना अपनी शर्तों पर सरकार चलाने के लिए सरकार के गठन से पहले ही प्रयास कर रही है। नेकां ने अपने दम पर जरूरी बहुमत जुटा ली है। नेकां के निर्दलीय विधायकों के साथ अब आप का भी समर्थन मिला है।

ऐसे में पार्टी अपने गठबंधन के सहयोगी और छह विधायकों वाली कांग्रेस को सरकार में बड़ा महत्व देने से परहेज करती दिख रही है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार में दो मंत्रालय व राज्य मंत्री का पद मांगा था, लेकिन नेकां उन्हें एक-एक पद से ज्यादा देने के मूड में नहीं है। नेकां गठबंधन के दबाव में सरकार चलने नहीं चाहती है। ऐसे में वह कांग्रेस को कम से कम महत्व दे रही है।

विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के बीच 22 का फैसला होगा। सत्ताधारी पाले में 56 विधायक होंगे जबकि विपक्ष में 34 विधायक होंगे। 56 विधायकों वाले सत्तापक्ष में नेशनल कांफ्रेंस के सबसे ज्यादा 42 विधायक रहेंगे।
 जबकि कांग्रेस के छह, सीपीएम से एक, आम आदमी पार्टी से एक और निर्दलीय छह विधायक है। वहीं विपक्ष में 34 विधायक हैं, जिसमें 29 भाजपा, तीन पीडीपी, पीसी से एक, एआईपी से एक विधायक हैं।
 
 कई राजनीतिक दलों ने शनिवार को नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन से अपनी पहली कैबिनेट में एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया। जिसमें जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की जाए। ऑल इंडिया पार्टी यूनाइटेड मोर्चा  के सदस्यों ने हाल के विधानसभा चुनाव में एनसी-कांग्रेस गठबंधन को उसकी शानदार जीत पर बधाई दी।

 एनसी ने 90 विधानसभा सीटों में से 42 पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं। दोनों सहयोगियों के पास 95 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत है। पांच सदस्यों को उपराज्यपाल द्वारा नामित किया जाना है। चार निर्दलीय और आप के एकमात्र निर्वाचित विधायक ने भी गठबंधन को अपना समर्थन दिया है।

 पूर्व सांसद शेख अब्दुल रहमान के आवास पर आयोजित बैठक में एपीयूएम ने एनसी-कांग्रेस गठबंधन से अपील की कि वह अपनी पहली कैबिनेट बैठक में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने, 200 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करने और दैनिक बिजली नियमित करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित करें। एपीयूएम के सदस्यों ने जम्मू में मुलाकात की और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में शानदार जीत पर एनसी-कांग्रेस गठबंधन को बधाई दी।

 गठबंधन सरकार को पूर्ण समर्थन की घोषणा करते हुए एपीयूएम ने सांप्रदायिक ताकतों को खारिज करने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया। बैठक में राज्य प्रमुख शिव सेना (यूबीटी) मनीष साहनी, प्रमुख कार्यकर्ता आईडी खजूरिया, सलीम मीर, नरिंदर सिंह खालसा, नरिंदर खजूरिया, कामरेड सुभाष मेहता और सनी कांत चिब उपस्थित रहे।

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