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क्या मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की योजना चल रही है ?

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अखिलेश अखिल 

राजनीतिक लाभ के लिए कोई भी सरकार कुछ भी करने को तैयार हो जाती है। चाहे वह नए राज्य का निर्माण ही क्यों नहो ! ऐसा पहले भी हुआ और आगे भी हो सकता है। वैसे महाराष्ट्र में काफी लम्बे समय से अलग विदर्भ राज्य की मांग होती रही है। देश के कई और इलाकों में भी अलग राज्य की मांग की जाती रही है। लेकिन मौजूदा राजनीति में मुंबई को लेकर भी कई तरह की बातें अब राजनीतिक गलियारों में चल रही है। जिस तरह से संसद का विशेष सत्र अचानक बुलाया गया है और यह सब विपक्ष को संसदीय समिति को बिना बताये किया गया है, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं । महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने एक बड़ी बात कही  है। उन्होंने दावा किया है कि संसद का आगामी विशेष सत्र ‘देश को बांटने और मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने’ के एजेंडे के साथ बुलाया गया है। 
   पटोले ने कहा है कि 18-22 सितंबर के सत्र के लिए अब तक कोई एजेंडा घोषित नहीं किया गया है। इसके साथ ही  मोदी की सरकार ने विपक्ष और संसदीय मामलों की समिति सहित किसी से भी पूछे बिना यह सत्र बुलाया है। उन्होंने पूछा, ”कोविड-19 संकट, नोटबंदी, मणिपुर हिंसा के दौरान ऐसा कोई विशेष सत्र नहीं बुलाया गया, तो अब क्यों?”
               पटोले ने यह भी आरोप लगाया कि सत्र का उद्देश्य “देश को विभाजित करना और मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने और इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मोदी सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाना है”। उन्होंने कहा कि मुंबई वैश्विक महत्व का शहर है, देश का वित्तीय केंद्र है, राज्य और राष्ट्र का गौरव है, और भाजपा पिछले नौ वर्षों से व्यवस्थित रूप से इसके महत्व को कम करके इस पर नजर गड़ाए हुए है।
                   उन्‍होंने कहा, “यह लंबे समय से चल रहा है… ग्लोबल फाइनेंशियल सेंटर को गुजरात ले जाया गया, हीरा उद्योग को वहां स्थानांतरित कर दिया गया, एयर इंडिया मुख्यालय को भी हटा दिया गया है। अब, ऐसा कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र से ‘मुंबई को अलग’ करने की बड़ी साजिश के तहत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को स्थानांतरित करने की योजना है।
                    पटोले ने यह भी तर्क दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली उद्धव शिवसेना कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महा विकास अघाड़ी सरकार के शासन के दौरान यह सब संभव नहीं था, यही कारण था कि इसे केंद्र सरकार और तत्कालीन राज्यपाल की मदद से गिरा दिया गया था।
                 उन्‍होंने कहा, “हालांकि, जब से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार सत्ता में आई है, मुंबई और महाराष्ट्र की कई बड़ी परियोजनाओं को गुजरात में हाइजैक कर लिया गया है। न तो शिंदे और न ही उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने इस सबका विरोध करने की हिम्मत की।”
                     पटोले ने कहा कि अगर शिंदे-फडणवीस-अजित पवार में साहस है, तो उन्हें शहर और राज्य के लोगों को नुकसान पहुंचाकर सभी प्रमुख परियोजनाओं, संस्थानों और कार्यालयों को मुंबई से बाहर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री से सवाल करना चाहिए।

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