अखिलेश अखिल
बिहार में अभी जो भी हुआ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। नीतीश कुमार इस तरह से पलट सकते हैं और जनता के सामने कुछ भी कह सहते हैं इस बात की कल्पना बिहार के साथ ही देश के लोग भी कर सकते हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने ऐसा किया। हफ्ते भर पहले नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ मिलकर बीजेपी और पीएम मोदी पर वार करने से नहीं चूक रहे थे लेकिन सप्ताह भर पहले ही वे बीजेपी के साथ चले गए और पीएम मोदी क्र प्रशंसक हो गए। अब तो नीतीश कुमार समेत जदयू के सभी नेता यह यह भी कह रहे हैं कि मोदी से बड़ा नेता कोई नहीं और और मोदी है तो देश का विकास हो रहा है बरना देश की हालत क्या थी यह कौन नहीं जनता है ? राजनीतिक पलटी की यह कहानी इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया है।
सम्भव है कि आगामी चुनाव में भी मोदी की सत्ता विराजमान रहे। सम्भव है कि बिहार में फिर से मोदी और नीतीश मिलकर सभी 40 सीटों पर जीत हासिल कर लें लेकिन जब किसी नेता और इंसान का इकबाल ख़त्म हो जाता है तो जनता बहुत दिनों तक उसे झेल नहीं पाता। नीतीश कुमार के साथ बिहार की जनता क्या कुछ करेगी यह देखने की बात है। लेकिन जनता की बात को छोड़ दीजिये। अभी तो राजद के लोग ही नीतीश को पानी पिलाने की तैयारी में लगे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक राजद नेता तेजस्वी यादव भी बड़े स्तर की तैयारी कर रहे हैं। यह ऐसी तयारी है जो निशाने पर लग गई तो नीतीश कुमार के सपने चूर हो सकते हैं और उनकी पार्टी जदयू की कहानी भी कुछ दूसरे तरह की हो सकती है।
नीतीश कुमार को बिहार विधान सभा में 12 फरवरी को बहुमत हासिल करना है। जदयू और बीजेपी की भी पानी तैयारी है और सभी विधायकों को सदन में रहने की मुनादी की ज रही है। सबकी सूची बन रही है। गिनती चल रही है कौन कहाँ जा रहा है और किस्से मिल रहा है उस पर नजर राखी जा रही है। मकसद यही है कि बहुमत ठीक से हो जाए। खेल तो बीजेपी और जदयू की तरफ से भी चल रहा है। कांग्रेस के कई विधायकों पर बीजेपी और जदयू की नजर है। लेकिन इस बीच राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को गच्चा देने की तैयारी में है। वह इन दिनों लगातार बैठक कर खेला करने की तैयारी में लगी है। उन्होंने पहले ही कह दिया था कि बिहार में खेला होगा।
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें है। इनमें से आरजेडी के पास 79 विधायक है। बीजेपी के पास 78 विधायक है। जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, लेफ्ट के पास 16, ओवैसी की पार्टी के पास 1, हम के पास 4 और 1 निर्दलीय विधायक है। इनमें से सत्तारूढ़ एनडीए के पास कुल 127 विधायकों का समर्थन है। वहीं, तेजस्वी के पास कुल 113 विधायकों का समर्थन है। निर्दलीय किस तरफ है इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। सूत्रों के मुताबिक बहुमत परीक्षण के दौरान जदयू के कई विधायक पार्टी से बगावत करके आरजेडी का समर्थन कर सकते हैं।
बताया जा रहा है कि बिहार सरकार के काम को लेकर सूबे के नेता सारा क्रेडिट तेजस्वी को दे रहे थे। इससे नीतीश कुमार परेशान थे। वहीं, उन्होंने भी मीडिया से बात करते हुए इस बात की पुष्टी की। उन्होंने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार में शामिल महागठबंधन के नेता हर चीज का क्रेडिट अकेले तेजस्वी यादव को देने में लग गए थे। हमने आरजेडी के साथ बहुत तालमेल बिठाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बन पाई, इसलिए हम लोगों ने इस गठबंधन से अलग होने का फैसला लिया।