न्यूज़ डेस्क
विज्ञान की महिमा को कौन जाने ! यह विज्ञान का ही कमाल है कि धार्मिक गृह -उपग्रह कहते रहे हैं वहां विज्ञान ने धमक दे दी है। वहाँ की मिट्टी धरती पर आ चुकी है। हवा और पानी की खोज की जा रही है। खोज यह भी हो रही है कि धरती के अलावा इस ब्रह्मांड में जीवन के रहस्य कहाँ -कहाँ हैं। चन्द्रमा को हम चंदा मामा कहते रहे हैं अब चंदा मामा का सैर करने हमरा चंद्रयान पहुंच गया है। कई और देश भी इस चंदा मामा की परिक्रमा कर चुका है। अभी हाल में हमारा चंद्रयान 3 चंद्रमा के ऐसे दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है जहां दुनिया अब तक नहीं जा सकी थी। भारत का डंका बज गया। हमा लैंडर और रोवर वहां पहुँच चुका है। कुछ दिनों तक काम भी करता रहा। हमें कई जानकारियां दी। फिर वह अँधेरे में मौन सा हो गया। कह सकते जहां सो गया। लेकिन अब जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ हमारा लैंडर विक्रम और टॉवर प्रज्ञान फिर से जागने के फिराक में हैं। इसरो कह रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो हमारा लैंडर और रोवर फिर से जाग जायेगा।
ऐसी खबर आ रही है कि यह मिशन अब फिर से शुरू हो सकता है। दरअसल इसरो के अंतरिक्ष विज्ञानियों का कहना है कि 23 सितंबर को चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर फिर से एक्टिव हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है कि चंद्रयान का रोवर चांद की सतह पर और प्रयोगात्मक डाटा इसरो को भेज सकता है।
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने बताया कि ‘बीती तीन सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रात ढलने के चलते चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। निलेश देसाई ने बताया कि लैंडर और रोवर पर सोलर पैनल लगाए गए हैं और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर दिन निकलने पर रिचार्ज हो सकते हैं।’ निलेश देसाई ने बताया कि ‘हमारी योजना के मुताबिक 23 सितंबर को लैंडर विक्रम और रोवर रिवाइव हो सकते हैं। चांद पर अब दिन निकलना शुरू हो गया है। हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि रात के दौरान जब चांद की सतह पर तापमान माइनस 120 से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है तो क्या सोलर पैनल फिर से ठीक काम कर पाएंगे या नहीं।’
देसाई ने कहा कि ‘हम इसकी उम्मीद कर रहे हैं कि लैंडर पर मौजूद चार सेंसर्स और रोवर पर मौजूद दो सेंसर्स में से कुछ फिर से काम करना शुरू कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हम आगे भी चांद पर नए प्रयोग कर पाएंगे।’ बता दें कि चांद पर धरती के 14 दिनों के बराबर दिन और रात होते हैं। मतलब वहां 14 दिनों तक दिन होता है और उतने ही दिनों तक रात। जब चंद्रयान 3 का लैंडर चांद पर उतरा था तो उस वक्त चांद पर दिन निकल रहा था। यही वजह रही कि 14 दिनों तक काम करने के बाद लैंडर और रोवर स्लीप मोड में चले गए थे।
अंतरिक्ष विज्ञानी डॉ. आरसी कपूर से जब लैंडर और रोवर के फिर से एक्टिव होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘लैंडर और रोवर अपना काम कर चुके हैं। जब दोनों को स्लीप मोड में डाला गया तो दोनों के सभी उपकरण सही तरीके से काम कर रहे थे। इसरो को पास पहले से ही काफी डाटा इकट्ठा हो गया है। हो सकता है कि उपकरण पहले जैसी कंडीशन में फिर से काम ना कर सकें लेकिन फिर भी कुछ उम्मीद बाकी है। हो सकता है कि हमें अच्छी खबर मिल जाए। चांद पर दिन निकलना शुरू हो गया है। रोवर को पहले से ही इस तरह से रखा गया है कि जब सूरज निकले तो उसकी रोशनी सीधे रोवर के सोलर पैनल्स पर पड़े।’

