अखिलेश अखिल
कर्नाटक से एक बड़ी खबर आ रही है। वहां बीजेपी और जेडीएस के बीच चुनावी समझौता हुआ है। इस समझौते के मुताबिक़ चार सीटों पर जेडीएस लड़ेगी जबकि बाकी के 22 से 24 सीटों पर बीजेपी लड़ेगी। कर्नाटक में बीजेपी काफी ताकतवर रही है। पिछले लोससभा चुनाव में उसे 25 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, बीजेपी समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक सीट पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस और जेडीएस ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की थी।इसके साथ ही 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस का सुफरा साफ़ कर दिया था। लेकिन 2023 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को बुरी तरह से हराया है। बीजेपी के कई नेता भी पार्टी से निकलकर कांग्रेस के साथ जुड़े हैं। ऐसे में सत्ता से बेदखल हो चुकी कर्नाटक की बीजेपी इकाई के लिए जेडीएस के साथ समझौता एक बेहतर खबर हो सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए जेडीएस को चार सीटें देने पर सहमति जता दी है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने इसके लिए हामी भर दी है।
भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य येदियुरप्पा ने कहा कि चुनावी तालमेल के तहत जेडीएस कर्नाटक में 28 संसदीय क्षेत्रों में से चार पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा और जेडीएस के बीच तालमेल होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जेडीएस को चार लोकसभा सीट देने के लिए राजी हो गए हैं।’’ येदियुरप्पा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा,‘‘ इसने हमें काफी ताकत दी है और इससे साथ मिल कर हमें 25-26 लोकसभा सीट जीतने में मदद मिलेगी।’’ इससे पहले जेडीएस प्रमुख देवेगौड़ा ने हाल में कहा था कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।
जब कर्नाटक की बात आती है तो जेडीएस के साथ बीजेपी के रिश्ते को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाती हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि एक साथ जाने से दोनों पार्टियों को मदद मिलेगी, दूसरों का कहना है कि भाजपा के लिए संभावित मामूली लाभ गठबंधन के लायक नहीं हो सकता है। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन की ओर इशारा किया जाता है, जब दोनों पार्टियां केवल एक-एक सीट ही जीत सकीं।
अब भाजपा-जेडीएस गठबंधन पर बातचीत के साथ एक सवाल यह है कि क्या दोनों पार्टियां एक-दूसरे को वोट ट्रांसफर कर सकती हैं। हाल के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर 36 फीसदी और जेडीएस का 14 फीसदी था, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में अकेले बीजेपी को 52 फीसदी वोट मिले थे। जेडीएस को जहां बीजेपी की जरूरत है, वहीं इसको क्षेत्रीय पार्टी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
लोकसभा चुनाव में जेडीएस को साथ लेने के लिए बीजेपी की ओर से गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। सतही तौर पर यह एक अच्छा समीकरण दिखता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कई बड़े मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाना बाकी है।