अखिलेश अखिल
कर्नाटक को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान जारी है लेकिन बीजेपी शासित राज्य मणिपुर जल रहा है। मणिपुर की तरफ बीजेपी की कोई निगाह नहीं। मणिपुर की हालत इतनी ख़राब हो गई है कि स्थानीय आदिवासी लोग हिंसा पर उतर आये हैं और सरकार को हिंसक विरोध को देखते हुए धारा 144 लागू करनी पड़ी है। राज्य के कोने -कोने में बीजेपी सरकार के खिलाफ आवाज उठ रही है और सरकार इसे दबाने के लिए जो भी करवाई कर रही है उससे हिंसक घटनाएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में कहा जा रहा है कि मौजूदा बीजेपी की बीरेन सिंह सरकार का जाना तय हो गया है।
गौरतलब है कि मणिपुर के हालात बीते कुछ दिनों से ठीक नहीं है। भाजपा विधायकों के इस्तीफे से सियासी भंवर में फंसे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का विरोध अब आम लोग भी करने लगे हैं। पहले कुछ ही दिनों के भीतर बीजेपी के चार विधायकों ने सरकारी पदों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इस्तीफा देने वाले विधायकों ने कोई आरोप नहीं लगाया है। उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा देने की बात कही है। लेकिन जानकार मान रहे हैं कि विधायकों में असंतोष की एक बड़ी वजह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह हैं। असंतुष्ट विधायक केंद्रीय नेताओं से मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बदलने की मांग कर रहे हैं। इस मांग के तहत मणिपुर बीजेपी के असंतुष्ट विधायकों का एक खेमा दिल्ली भी आया था। हालांकि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह या कैबिनेट में बदलाव को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे भाजपा के विधायकों का इस्तीफा जारी है।
बीजेपी विधायकों के अपने पद से इस्तीफे के बीच कहा जा रहा है कि सीएम एन बीरेन सिंह की सरकार में मतभेद खुलकर सामने आ रहा है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इसमें कहा गया है कि शिकायत करना या विवाद को पार्टी के किसी उच्च अधिकारी के पास ले जाना अनुशासनहीनता के समान नहीं है। खैर यह सब तो बीजेपी और मणिपुर सरकार के भीतर की कहानी हो सकती है लेकिन जिस तरह से मणिपुर में हिंसा का दौर चल रहा है उसे कतई सही नहीं कहा जा सकता।
मामला मणिपुर के चुराचांदपुर का है। जहां आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सभा होनी थी। लेकिन सीएम के प्रोग्राम से पहले बीती रात प्रदर्शनकारियों ने सभा स्थल पर जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की है। मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शुक्रवार को चुराचांदपुर जिले के न्यू लमका इलाके में एक जिम और खेल सुविधा केंद्र का उद्घाटन करने वाले थे। इससे पहले ही गुरुवार रात करीब 9 बजे प्रदर्शनकारियों ने कुर्सियां तोड़ डालीं और मंच फूंक दिया।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार हिंसा को अंजाम देने वाली भीड़ का नेतृत्व स्वदेशी जनजातीय नेताओं का एक मंच कर रहा था। ये लोग भाजपा नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार के एक फैसले का विरोध कर रहे हैं। फैसले के तहत आदिवासियों के लिए आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों का सर्वे कराया जाना है। इस आदेश के बहाने जनजातीय मंच राज्य सरकार पर चर्चों को गिराने का आरोप लगा रहा है।
हिंसा के बाद चुराचांदपुर में मणिपुर सरकार ने बड़ी सभाओं और इंटरनेट सर्विस सस्पेंड कर दी है। इधर हंगामे के दौरान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जिसके बाद से इलाके में भारी तनाव है। ऐतहियातन भारी पुलिस बल तैनात है। भीड़ का हमला ऐसे समय में हुआ, जब आदिवासी नेताओं के एक मंच ने सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक पूरे चुराचांदपुर में बंद का ऐलान किया था।
चुराचंदपुर जिले के एडीएम एस थिएनलाटजॉय गंगटे ने कहा कि जिले में शांति भंग होने की आशंका और संपत्ति के लिए गंभीर खतरे को देखते हुए बड़ी सभा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। इधर स्थानीय लोगों का कहना है कि मणिपुर सरकार ने अवैध निर्माण के आरोप में 11 अप्रैल को पूर्वी इंफाल में तीन चर्चों को गिरा दिया था। इनमें इवेंजेलिकल बैपटिस्ट कन्वेंशन चर्च, इवेंजेलिकल लूथरन चर्च और कैथोलिक होली स्पिरिट चर्च शामिल था।
चर्च गिराए जाने के आदेश के खिलाफ मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था। चर्च कोर्ट में यह साबित करने में असफल रहे थे कि उन्होंने निर्माण के लिए कानूनी मंजूरी ली थी। लेकिन आदिवासी मंच अब सरकार से दो -दो हाथ करने को तैयार है। कहा जा रहा है कि सरकार और आदिवासी मंच के बीच तनाव बढ़ता गया तो मणिपुर की स्थिति ख़राब हो सकती है।