Holi 2024: होली का त्योहार देशभर में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा करने का विधान है। होलिका पूजन के लिए लोग पहले से तैयारियां करना शुरू कर देते हैं। होली के दिन हम अधिकतर लोगों को सफेद कपड़े में देखते हैं, लेकिन क्या होली पर सफेद कपड़ा पहनना फैशन है या इसके पीछे कोई धार्मिक मान्यता है, आज हम इसी बारे में जानेंगे।
क्या है धार्मिक महत्व?
धार्मिक मान्यता है कि होली के अवसर पर राहु देव का स्वभाव उग्र हो जाता है जिससे राहु के दुष्प्रभाव की वजह से इंसान बुरी संगत में पड़ जाता है। उस व्यक्ति में निगेटिव एनर्जी आ जाती है। इंसान की भाषा अत्यधिक कठोर हो जाती है और उसका पारिवारिक संबंध भी बिगड़ जाता है। इसलिए राहु के प्रकोप से बचने के लिए सफेद कपड़ा पहना जाता है।
शांति का प्रतीक
सफेद रंग को शांति, सुख-समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। यह रंग हमारे दिमाग को शांत रखता है। लोग होली के दिन सफेद रंग पहनकर प्यार, भाईचारे और मानवता को दर्शाते हैं। यह रंग हमें सिखाता है हमें सभी लड़ाई-झगड़े भूलकर अपनों को फिर से गले लगा लेना चाहिए। सफेद रंग निष्पक्षता और अच्छाई का प्रतीक होता है।
बुराई पर अच्छाई की जीत
रंग वाली होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और होलिका दहन की कहानी हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे में त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा जाता है।
सफेद कपड़े पर उभरते हैं सभी रंग
सफेद एक ऐसा रंग है जिस पर हर कलर खिलकर आता है। अब रंगों के इस त्योहार में सफेद से बेहतर और क्या हो सकता है। यह रंग हमें भी दूसरों के साथ घुल-मिलकर रहना सिखाता है।
मौसम के अनुकूल
होली का त्योहार उस समय आता है जब लोग तेज धूम की वजह से पहले ही परेशान होते हैं। ऐसे सफेद रंग हमें ठंडक पहुंचता है। इसी प्रकार सफेद कपड़े का अपना कोई रंग नहीं होता है। सफेद कपड़े पर जो भी रंग डाला जाता है वह उसी रंग का हो जाता है।