न्यूज़ डेस्क
महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में एक ही दिन में 18 लोगों की मौत से शिंदे सरकार पर कई सवाल उठ रहे हैं। वैसे राज्य के अस्पतालों में 24 घंटे के भीतर 24 मरीजों की मौत हुई है जिनमे 12 नवजात शिशु हैं। इस घटना के बाद राज्य में सनसनी फ़ैल गई है और शिंदे सरकार पर कई तरह के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। बता दें कि थाणे के नगर निगम अस्पताल में सबसे ज्यादा मौत हुई है। यह भी कहने की जरूरत है कि ठाणे शिंदे का शहर है और वही से वे राजनीति करते हैं। लेकिन जिस तरह से यहाँ के लोगों अंकुर बच्चों की मौत ही है अब स्थानीय लोग भी शिंदे के खिलाफ मुखर होकर बोलने लगे हैं। इस मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाफकिन प्रशिक्षण अनुसंधान एवं परीक्षण संस्थान द्वारा दवाओं की खरीद बंद करने से राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी हो गयी है। समय पर दवा नहीं मिलने से गंभीर मरीजों की जान जा रही है। जब ठाणे में एक ही रात में 18 लोगों की मौत का मामला सामने आया तो पूरे राज्य में गुस्से की लहर दौड़ गई। इस घटना को अभी दो महीना भी नहीं बीता है कि नांदेड के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में भी ऐसी ही घटना हो गयी।
24 घंटे में 24 मरीजों की मौत के मामले में सरकारी अस्पताल के डीन एसआर वाकोडे ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। उन्होंने दावा किया कि मृतकों में बाहरी मरीज अधिक है। प्रारंभिक जानकारी सामने आ रही है कि सांप के काटने और जहर से 12 लोगों की मौत हुई है। उधर, इस घटना से नांदेड में सनसनी फैल गई है। लोग इस मामले की जांच की मांग कर रहे है।
ठाणे के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में अगस्त महीने में महज 12 घंटे में 18 मरीजों की मौत हो गयी थी। तब अस्पताल प्रशासन ने बताया था कि जिन मरीजों की मौत हुई हैं उनमें कुछ दुर्घटनाओं के शिकार थे। जबकि अन्य की मौत अल्सर, लीवर रोग, निमोनिया, जहर खाने, डायलिसिस, सिर पर चोंट, संक्रमण, ऑक्सीजन की कमी, निम्न रक्तचाप, बुखार आदि के कारण हुई। मृतकों में 83 वर्षीय महिला और 81 वर्षीय पुरुष भी शामिल थे। बाकी मृतकों की उम्र 33 से 83 साल के बीच थी। इस घटना के बाद सरकार ने अस्पताल में बेड व स्टाफ बढ़ाने का निर्देश दिया।