बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक छह दिन पहले एनडीए ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी कर बड़ा दांव चला है। शुक्रवार को जारी इस संकल्प पत्र में गरीबों, महिलाओं, किसानों और युवाओं के लिए कई नई योजनाओं का ऐलान किया गया है।घोषणापत्र का सबसे बड़ा आकर्षण रहा ‘पंचामृत गारंटी’, जिसे गरीबों के सर्वांगीण कल्याण से जोड़ा गया है।
एनडीए के इस वादे में कहा गया है कि हर गरीब परिवार को मुफ्त राशन, 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज, 50 लाख नए पक्के मकान और सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जाएगी।इन पांच सुविधाओं को मिलाकर इसका नाम ‘पंचामृत गारंटी’ रखा गया है।एनडीए ने इसे बिहार में गरीबी के खात्मे की दिशा में सबसे बड़ा कदम बताया है।
बीजेपी की ओर से सोशल मीडिया पर दावा किया गया, “एनडीए का संकल्प गरीब कल्याण के लिए ठोस वादे।50 लाख पक्के मकान, मुफ्त राशन, 125 यूनिट मुफ्त बिजली, 5 लाख तक मुफ्त इलाज और सामाजिक सुरक्षा पेंशन सही बटन दबाएं, एनडीए को जिताएं।
हर युवा के सुनहरे भविष्य की गारंटी के तहत एनडीए ने एक करोड़ से अधिक सरकारी नौकरियों और रोजगार देने का वादा किया है।
किसान सम्मान और एमएसपी गारंटी के जरिए हर किसान को सालाना 9,000 रुपये की सहायता राशि और फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करने की घोषणा की गई है।
औद्योगिक क्रांति की गारंटी के तहत ‘विकसित बिहार औद्योगिक मिशन’ के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया गया है, जिससे लाखों नई नौकरियां सृजित करने की बात कही गई है।
शिक्षा गारंटी के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को प्रति माह ₹2,000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
एनडीए ने अपने इस संकल्प पत्र को बिहार के विकास का रोडमैप बताते हुए कहा है कि यह सिर्फ वादों का नहीं, बल्कि ‘विकसित बिहार’ के सपने को साकार करने का दस्तावेज है।6 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग से पहले एनडीए के इस घोषणापत्र ने सियासी माहौल को गरमा दिया है।अब देखना यह होगा कि ‘पंचामृत गारंटी’ जैसे बड़े वादे मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाते हैं।
विपक्ष (मुख्य रूप से कांग्रेस) ने एनडीए (बीजेपी) के 2024 के घोषणा पत्र (संकल्प पत्र) पर कई दावे और आलोचनाएं की हैं। विपक्ष का मुख्य दावा यह है कि एनडीए सरकार ने पिछले 10 वर्षों में अपने वादे पूरे नहीं किए और लोगों को भय में रखा।
विपक्ष के प्रमुख दावे और आलोचनाएं निम्नलिखित हैं:
पुराने वादों को पूरा न करना: विपक्ष ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार अपने पिछले कार्यकाल के दौरान किए गए प्रमुख वादों, जैसे कि रोज़गार सृजन और महंगाई नियंत्रण, को पूरा करने में विफल रही है।
“घोषणा पत्र” नहीं: कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि भाजपा का दस्तावेज़ वास्तव में एक घोषणा पत्र नहीं , बल्कि मौजूदा सरकारी योजनाओं का केवल एक दोहराव है, जिसमें भविष्य के लिए कोई नई या ठोस योजनाएं नहीं है।
संविधान की मूल भावना का उल्लंघन: कांग्रेस के घोषणा पत्र (न्याय पत्र) में यह आरोप लगाया गया कि भाजपा/एनडीए ने संसद में अपने बहुमत का दुरुपयोग करके ऐसे कानून बनाए जो भारत के संविधान की मूल भावना और कानून बनाने के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।
भय का माहौल और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग: विपक्ष का दावा है कि पिछले पांच वर्षों में हर वर्ग के लोग भय में जी रहे थे और लोगों को डराने-धमकाने के लिए कानूनों और जांच एजेंसियों (जैसे ईडी, सीबीआई) का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया।
धार्मिक और भाषाई समूहों में नफरत फैलाना: विपक्ष ने एनडीए पर विभिन्न धार्मिक, भाषाई और जाति समूहों के लोगों के बीच नफरत फैलाने का भी आरोप लगाया।
मणिपुर की स्थिति पर अनदेखी: मणिपुर में स्थिति बिगड़ने के लिए बीजेपी/एनडीए सरकार की घोर उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराया गया, यह कहते हुए कि सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया।
नई शिक्षा नीति पर विरोध: कांग्रेस ने दावा किया कि एनडीए सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति का शिक्षाविदों और कई राज्य सरकारों द्वारा विरोध किया गया था।
