पीओके में आम लोगों पर हो रहे अत्याचार पर भारत ने बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालयन ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर में हो रहा प्रदर्शन पाकिस्तान की दमनकारी नीति और संगठित लूट की नतीजा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान में ह्यूमन राइट्स के हनन के लिए वहां की सरकार की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की खबरें देखी हैं. वहां पाकिस्तानी सेना निर्दोष नागरिकों के साथ बर्बरता कर रही है. पाकिस्तान को उसके भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. इन हिस्सों में पाकिस्तान का अवैध कब्जा है, जहां के संसाधन को वह व्यवस्थित तरीके से लूटता है.
पीओके में जारी प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से किया जा रहा अत्याचार का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच चुका है. PoK के राजनीतिक दलों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से इस मामले में तुरंत दखल देने की मांग की है. 29 नवंबर को यहां आम लोग शहबाज सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे, जिससे बाद पाकिस्तानी सेना ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की जिसमें अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है.
रावलकोट, मीरपुर, कोटली, नीलम घाटी और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अन्य इलाकों में बंद और चक्का जाम का आह्वान किया गया है. यह PoK में हो रहे अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक है. अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) के नेतृत्व में शहबाज शरीफ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. एएसी ने मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिसके बाद पूरे इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया गया और पुलिस के अत्याचार शुरू हो गए.