कांग्रेस के सीनियर लोकसभा मेंबर मनीष तिवारी ने मौजूदा विंटर सेशन के दौरान सदन में एक प्राइवेट मेंबर बिल का प्रस्ताव दिया है। मनीष तिवारी चाहते हैं कि बिल और मोशन पर वोटिंग करते समय पार्लियामेंट मेंबर पार्टी लाइन की मजबूरियों से आजाद हों। ऐसा होने पर कोई भी सांसद को किसी बिल या प्रस्ताव पर वोट करने को लेकर पार्टी लाइन से हटकर वोट कर सकेगा।
अभी, चुने हुए सदस्य कानून के हिसाब से अपनी पार्टी के बताए अनुसार एक फॉर्मल नोट के जरिए वोट करने के लिए मजबूर हैं। इसे सदन की भाषा में ‘व्हिप’ कहते हैं। तिवारी का प्रस्तावित कानून उस मजबूरी को खत्म करने के लिए एंटी-डिफेक्शन कानून में बदलाव करने के लिए है। चंडीगढ़ के सांसद ने कहा कि यह बिल सांसदों को ‘व्हिप से चलने वाली तानाशाही’ से आजाद करने और ‘अच्छे कानून बनाने’ को बढ़ावा देने की उनकी कोशिश है। इसके अलावा ट्रस्ट वोट, एडजर्नमेंट मोशन, मनी बिल और ‘सरकार की स्थिरता पर असर डालने वाले’ दूसरे मामले शामिल होंगे।
मनीष तिवारी ने कहा कि बिल इस बात पर जोर देता है कि डेमोक्रेसी में किसकी अहमियत है- ‘वो वोटर जो घंटों धूप में खड़ा रहता है… या वो पॉलिटिकल पार्टी जिसका व्हिप रिप्रेजेंटेटिव उसका हीरो बन जाता है? आमतौर पर प्राइवेट मेंबर बिल कम ही पारित होते हैं। मनीष तिवारी ने 2010 और 2021 के बाद तीसरी बार इसे पेश किया है। लेकिन उनकी अलग लाइन ऐसे समय में आई है,जब उनकी पार्टी, जो पार्लियामेंट में मुख्य विपक्षी दल है, चुनावी हार और अंदरूनी झगड़ों से घिरी हुई है।
मनीष तिवारी ने पिछले कुछ सालों में कई मुद्दों पर अपनी पार्टी से अलग रुख अपनाया है। इसमें हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के ग्लोबल आउटरीच में उनका हिस्सा लेना भी शामिल है। शशि थरूर इस ग्रुप में दूसरे जाने-माने कांग्रेसी नेता हैं।
