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मुस्लिम लीग और जिन्ना के दबाव में वंदे मातरम का बंटवारा हुआ,पीएम मोदी का बड़ा बयान

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लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा, संकल्प और राष्ट्र जागृति का स्रोत है। उन्होंने कहा कि जिस जयघोष ने देश को आजादी तक पहुंचाया, उस वंदे मातरम का ‘पुण्य स्मरण’ करना गौरव और कर्तव्य दोनों है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वंदे मातरम की यात्रा 1875 में शुरू हुई और इस गीत ने भारत की स्वाधीनता लड़ाई को वैचारिक और आध्यात्मिक नेतृत्व दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम ने भारतीयों को यह अहसास कराया कि यह लड़ाई किसी जमीन के टुकड़े के लिए नहीं, बल्कि मां भारती की मुक्ति के लिए थी।

अपने भाषण के निर्णायक हिस्से में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम को विवाद में घसीटने का दोष इतिहास में दर्ज है। उन्होंने आरोप लगाया कि 1937 में मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा विरोध किए जाने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग के दबाव के आगे झुकते हुए वंदे मातरम की समीक्षा शुरू करवाई। पीएम मोदी ने कहा कि जिन्ना के विरोध के पांच दिन बाद ही नेहरू ने पत्र लिखकर कहा कि यह गीत मुस्लिमों को भड़काता है,और यहीं से इस पवित्र गीत को दो हिस्सों में बांट दिया गया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इसे सामाजिक सौहार्द का नाम दिया, लेकिन वास्तव में यह तुष्टिकरण की राजनीति थी, जिसने राष्ट्र भावना को चोट पहुंचाई और अंततः भारत के विभाजन की मानसिकता को जन्म दिया।

पीएम मोदी ने बताया कि इस गीत ने सिर्फ आंदोलन को ही जन्म नहीं दिया बल्कि स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय चेतना का आधार बनाया।उन्होंने बताया कि वीर सावरकर ने लंदन के इंडिया हाउस में यह गीत गाया, भीकाजी कामा ने फ्रांस में अखबार इसी नाम से निकाला और महात्मा गांधी ने 1905 में लिखा कि वंदे मातरम हमारे राष्ट्रीय गीत की तरह लोकप्रिय हो गया है।’ उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने भी इस गीत को भारत की एकता और बलिदान की धड़कन बताया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है, तब वंदे मातरम को नए संकल्प के रूप में स्वीकार करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि हम सभी जनप्रतिनिधियों के लिए वंदे मातरम के रंग स्वीकार करने का यह पावन पर्व है।इसे सिर्फ याद करना नहीं, जीना होगा।

अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को यह सच बताया जाना जरूरी है कि जिसने स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी, उसी वंदे मातरम को राजनीतिक समझौते और दबाव में विभाजित कर दिया गया।

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