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केरल में टीकाकरण के बावजूद सात वर्षीय बच्ची रेबीज की चपेट में, अस्पताल में भर्ती

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कोरोना पेंडेमिक के दौरान बिना पर्याप्त परीक्षण के लोगों को वैक्सीन लगाए गए। पेंडेमिक नियमों के तहत सिर्फ अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया’ को ही अनुमति दी गई थी।एक तरफ इस अनुमति देने के पीछे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और अदार पूनावाला के बीच हुए दुरभि संधि को लेकर लोगों के बीच सवाल उमड़े – घुमड़े तो दूसरी तरफ इसके साइड इफेक्ट और उसके कोविड पर प्रभाव को लेकर भी लोगों में चिंता थी,लेकिन पेंडेमिक नियमों की आड़ में सरकार ने लोगों के मनों में उमड़ते – घुमड़ते सवालों की दिलों में ही दफनाए रखने को मजबूर कर दिया था। कोरोना वैक्सीन को लेकर तो कोई जानकारी बाहर आने ही नहीं दिया गया,लेकिन रेबीज रोकने के लिए दिया जाने वाला वैक्सीन निष्प्रभावी सिद्ध हो रहा है यह केरल में स्पष्ट देखा जा रहा है, खासकर सरकारी अस्पतालों में दिए जाने वाले एंटी रेबीज वैक्सीन के मामलों में। ऐसा कई मामला इन दिनों केरल में लगातार देखा जा रहा है।

केरल के कोल्लम की सात वर्षीय एक लड़की को रेबीज का टीका लगने के बावजूद रेबीज के कारण 4 मई को तिरुवनंतपुरम के एसएटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।लड़की फिलहाल गहन चिकित्सा इकाई में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। उसे बेहोशी की दवा दी जा रही है और एंटी-वायरल दवाइयां दी जा रही हैं।8 अप्रैल को लड़की की कोहनी के अंदर कुत्ते ने काट लिया था। उसे पास के पारिवारिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटी-रेबीज का टीका लगाया गया और पुनालुर तालुक अस्पताल में इम्युनोग्लोबुलिन सीरम दिया गया। हालाँकि, जब उसे बुखार हुआ, तो तालुक अस्पताल में जाँच से पुष्टि हुई कि उसे रेबीज हो गया है। फिर उसे SAT अस्पताल में भर्ती कराया गया।

एक सप्ताह पहले, कोझिकोड में एक छह वर्षीय लड़की को आवारा कुत्ते ने काट लिया था, उसे एंटी-रेबीज वैक्सीन और सीरम दिए गए थे।लेकिन इसके बावजूद उसकी रेबीज से मृत्यु हो गई थी।

एसएटी अस्पताल के अधिकारियों ने पुष्टि की कि कोल्लम के कुन्नीकोड की लड़की को इंट्राडर्मल रेबीज वैक्सीन की तीन खुराक दी गई थी और 6 मई को चौथी खुराक दी जानी थी। इम्यूनोग्लोबिन सीरम भी दिया गया था। लड़की की माँ ने उन्हें बताया कि घाव को पहले अच्छी तरह से धोया गया था और फिर परिवार के सामने स्वास्थ्य केंद्र में फिर से धोया गया था।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह टीका निष्प्रभावी है, क्योंकि राज्य में हर साल कुत्तों के काटने के सैकड़ों मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

गौर तलब है कि इस साल अब तक केरल में रेबीज़ से 12 मौतें हो चुकी हैं। पिछले साल 22 मौतें हुई थीं और उससे पिछले साल 17 मौतें हुई थीं

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