न्यूज़ डेस्क
बोलने से कौन चुकता है ? हमारे देश में बोलने की बीमारी जो है ! और नेताओं को जब बोलने का मौका मिलता है तो वह कहाँ बाज आते है ? उन्हें तो भीड़ और मौके की तलाश होती है। आज देश जिस मुहाने पर खड़ा है उसमे बहुत से सवाल खड़े हो गए हैं। सत्ता पक्ष के अपने सवाल है और विपक्ष के अपने। लेकिन देश की जनता के भी कई सवाल हैं जिसका कोई जवाब नहीं देता। कल राहुल गाँधी ने अपनी बात कही। अपना गुबार निकाला। सरकार पर वार किया। सवालों के बौछार किये। उन सवालों में क्या सच हैं क्या झूठ इसपर चर्चा होती रहेगी लेकिन जनता के सवाल तो खड़े ही है।
आज पीएम मोदी का दिन है। वे देश के सबसे बेस्ट वक्त कहे जाते हैं। जब बोलते हैं तो सामने वालो को ध्वस्त करके ही रहते हैं। वे आज भी बोलेंगे। विपक्ष के वार को वे बहुत दिनों से झेल रहे हैं। संसद में आज अविश्वास प्रस्ताव पर वे जो कहेंगे उस पर देश और दुनिया की निगाह भी लगी हुई है। लेकिन जनता के सवालों का क्या होगा ? उसका जवाब कब मिलेगा ?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदाय से ‘करबद्ध’ अपील करते हुए कहा कि उम्मीद है कि दोनों समुदाय बातचीत के जरिए मतभेद खत्म कर शांति बहाली का काम करेंगे। उन्होंने सदन से भी अपील की कि वह मणिपुर में शांति का प्रस्ताव पारित करे और दोहरा.कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मणिपुर के हालात से काफी चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने बीते तीन महीनों के दौरान उन्हें सुबह 4 बजे और सुबह 6 बजे जगाकर मणिपुर के हालात की जानकारी ली।
लेकिन बुधवार की सुबह संसद जाने से पहले गृहमंत्री ने मणिपुर ट्राइबल फोरम (आदिवासी मंच) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। यह प्रतिनिधिमंडल मिजोरम के ऐजॉल से दिल्ली आया था। इस समूह ने खुफिया ब्यूरो के डायरेक्टर और ज्वाइंट डायरेक्टर से भी मुलाकात की। बताया जाता है कि गृहमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि मणिपुर पुलिस पर्वतीय इलाकों में केंद्रीय बलों के साथ ही जाएगी और खुद से कोई कार्यवाही नहीं करेगी।
आज प्रधानमंत्री लोकसभा में उनकी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देंगे। हालांकि इस बात की अधिक उम्मीद नहीं है कि वे कुछ खास बोलेंगे, क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के पहले दो दिन वे संसद से नदारद ही रहे। फिर भी कुछ सवाल हैं जो देश उनसे पूछना चाहता है।
सवाल तो यही है कि प्रधानमंत्री बीते 3 महीनों के दौरान मणिपुर क्यों नहीं गए, यहां तक कि उन्होंने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में भी मणिपुर में शांति बहाली की अपील नहीं की?मोदी सरकार ने मणिपुर के हालात पर उत्तर पूर्व औय़र खासतौर से मणिपुर से सांसदों को संसद में क्यों नहीं बोलने के लिए खड़ा किया? क्यों केंद्रीय मंत्री आर रंजन सिंह, जिनका घर इम्फाल में हिंसा के दौरान जला दिया गया, अब तक संसद में क्यों नहीं बोले? मणिपुर में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाने और हालात को काबू में रखने में पूरी तरह नाकाम रहे मुख्यमंत्री को क्लीन चिट दी जा रही है और क्यों सरकार उन्हें बरखास्त कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाने हिचकिचा रही है? क्या केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल कर मणिपुर की कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने का कदम उठाया?
सवाल और भी हैं। क्यों पर्वतीय इलाकों और मिजोरम में बनाए गए राहत शिविरों में राज्य और केंद्र सरकार नजर नहीं आ रही हैं? इन शिविरों का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल लगातार बता रहे हैं कि इनका संचालन चर्च या सिविल सोसायटी द्वारा और मिजोरम में सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार के कितने मंत्रियों ने अभी तक या बीते तीन महीनों के दौरान मणिपुर का दौरा किया? केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक बार जाने के बाद वापस मणिपुर क्यों नहीं गए, जबकि उन्होंने खुद ही वादा किया था कि वे 15 दिन में फिर वापस जाएंगे? क्या सरकार हिंसा के शिकार लोगों और उनके परिवार के लिए किसी किस्म के मुआवजे की घोषणा करेगी?
सवाल यह भी है कि सभी पक्षों को बातचीत में शामिल करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? क्या सरकार अलग-अलग गुटों से बातचीत कर रही है, अगर हां तो उसका क्या नतीजा रहा है? क्या सरकार ने इम्फाल में हथियार भंडारों, थानों और सुरक्षा बलों से हुई हथियारों लूट के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया है? इस सिलसिले में क्या कार्रवाई की गई है? सरकार ने मणिपुर से सामने आ रही हेट स्पीच और फर्जी वीडियो पर रोक लगाने और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई कदम उठाया है? क्या सरकार मैतेई लीपुन और आरामबाई टेंगोल को भड़काऊ भाषा बोलने की इजाजत दे रही है? आखिर इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या इन सवालों के जवाब मिलेंगे ? क्या प्रधानमंत्री मोदी इस पर कुछ कहेंगे ? लेकिन इतना तो सच है कि आज प्रधानमंत्री खूब बोलेंगे। मणिपुर की घटना से इतर इंडिया गठबंधन से लेकर राहुल गाँधी और कांग्रेस को भी लपेटेंगे .इसके साथ ही अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की हार की भी बात करेंगे ताकि मीडिया की सुर्खियां बने कि सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को ढेर किया। यही सन्देश तो देश में जायेगा !