अखिलेश अखिल
अगर सब कुछ ठीक रहा तो बुधवार तीन जनवरी को नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक घोषित किये जा सकते हैं। इसकी पूरी तैयारी भी की गई है। नीतीश कुमार को संयोजक बनाने के साथ ही सीट शेयरिंग के मुद्दे पर भी कल बात की जाएगी। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने भी कई राज्यों में सीट शेयरिंग को लेकर कुछ मांगों को सामने रखा है। उम्मीद की जा रही है कि बुधवार की बैठक में उन सीटों के बारे में भी चर्चा हो सकती है जिन सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार को मैदान में खड़ा करना चाहती है। यह भी बता दें कि बुधवार को जो बैठक इंडिया गठबंधन के नेताओं के बीच होनी है वह ऑनलाइन बैठक होगी जिसमे गठबंधन के लगभग सभी लोग बड़े लोग शामिल होंगे।
बता दें कि इंडिया गठबंधन की दिल्ली में आयोजित बैठक से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार की चर्चा जोरों पर थी। माना जा रहा था कि उन्हें इंडिया गठंबधन का संयोजक बनाया जा सकता है लेकिन उस बैठक में ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ। हालांकि सीपीआई-माले के नेता ने कहा था कि जब जरूरत महसूस होगी तो गठबंधन का एक संयोजक बनाया जा सकता है।
सूत्र बताते हैं कि बुधवार जूम मीटिंग आयोजित की जाएगी जिसमें कांग्रेस, नीतीश कुमार के नाम को आगे रख सकती है। कांग्रेस ने राजद, जेडीयू और समाजवादी पार्टी के नेताओं की सहमति ले ली है, वहीं एनसीपी चीफ शरद पवार और शिवसेना-यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे से भी इस संबंध में बात की है। जबकि बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भी मौजूद रहने की संभावना है।
सूत्रों के हवाले से एक खबर यह भी सामने आ रही है कि अब इंडिया गठबंधन का नेतृत्व सोनिया गाँधी कर सकती है। ठीक उसी तरह जिस तरह से 2004 से वह यूपीए का नेतृत्व कर रही थी। खड़गे को पार्टी को मजबूत करने और राज्यों का दौरा करने के साथ ही गठबंधन के नेताओं से सम्बन्ध को मजबूत करने पर लगाने की बात है। खबर ये भी है कि अगर सोनिया गाँधी गठबंधन का नेतृत्व करती है तो ममता और मायावती को भी मजबूती के साथ आगे बढ़ने का मुका मिल सकता है। खबर ये भी है कि ममता भी यह चाहती है कि गठबंधन का नेतृत्व सोनिय गाँधी करे ,इसके साथ सोनिया गाँधी के साथ म्यवती भी जुड़ सकती है।
बता दें कि पहले इस बात की तैयारी चल रही थी कि उत्तर और दक्षिण के लिए दो संयोजक बनाये जाए। उत्तर भारत के लिए नीतीश कुमार और दक्षिण भारत के लिए खड़गे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। गठबंधन का नेतृत्व सोनिया गाँधी कर सकती हैं जबकि इंडिया गठबंधन का संयोजक का भार नीतीश कुमार के कंधे पर जा सकता है।
बता दें कि इंडिया गठबंधन की यह अचानक बैठक ऐसे समय में बुलाई गई है जब जेडीयू की कमान खुद नीतीश कुमार ने अपने हाथ में ले ली है। इससे पहले ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जेडीयू में आंतरिक बदलाव इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक के तुरंत बाद हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि जब पार्टी की कमान नीतीश के हाथ में है तो वह इंडिया गठबंधन में बारगेनिंग की स्थिति में होंगे। क्योंकि जेडीयू से जुड़े निर्णय वह खुद करेंगे। दूसरी, तरफ इंडिया गठबंधन को यह डर है कि अगर नीतीश उनके हाथ से छूटे तो लोकसभा चुनाव में बिहार का खेल बिगड़ सकता है।
पिछले दो लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो नीतीश का साथ दूसरी पार्टियों के लिए अहम रहा है। 2019 में जब नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए की सहयोगी थी तब दोनों ने मिलकर 39 सीटें जीती थीं। बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16 और सहयोगी लोजपा ने छह सीटें जीती थीं। 2014 के चुनाव में जेडीयू अकेले लड़ी थी लेकिन उसे 16 फीसदी वोट मिले थे।