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अरुणाचल में चीन सीमा खुलने जा रही सबसे लंबी सुरंग सामरिक रूप से अतिमहत्वपूर्ण

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बीरेंद्र कुमार झा

अरुणाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग खुलने जा रही है। यह सुरंग भारत के लिए काफी सामरिक महत्व रखती है। इस सुरंग के इस्तेमाल में आने के बाद भारतीय सैनिकों के लिए चीन सीमा पर जल्दी पहुंचना संभव होगा। सीमा सड़क संगठन(BRO ) ने अरुणाचल प्रदेश में इस टनल का निर्माण किया है। दोहरी लेने वाली यह सुरंग 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।अधिकारियों के मुताबिक इसमें तवांग जैसे अग्रिम मोर्चे पर पहुंचना आसान होगा। गौरतलब है कि भारत सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने में जुटी है, ताकि चीन पर लगाम लगाई जा सके।

उद्घाटन के लिए पीएम मोदी से मांगा जाएगा समय

700 करोड रुपए की सेला सुरंग प्रोजेक्ट की बालीपाड़ा – चारद्वार – तवांग रोड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में डाली थी। अगले हफ्ता एक अन्य सुरंग नेचीपुर टनल का शुभारंभ होने वाला है।नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया इस सुरंग से भी अग्रिम मोर्चे से कनेक्टिविटी बनाने में आसानी होगी। 500 मीटर की यह टनल वेस्ट कामेंग में 5700 फीट की ऊंचाई पर बीसीटी रोड पर बनाई गई है।अधिकारियों ने बताया कि सेला सुरंग परियोजना के पूरा होने में कुछ देरी हुई क्योंकि बारिश के मौसम में बादल फटने और भूस्खलन से एक संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था। अब यह लगभग पूरा होने पर है और 4 सप्ताह में तैयार हो जाएगा।एक अन्य अधिकारी ने भी नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रक्षा मंत्रालय इस टनल का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगेगा।

काफी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट

चीन से लगी सीमा पर होने के कारण यह प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है।वजह सेला दर्रे के ऊपर तवांग के लिए सर्दियों में कनेक्टिविटी दशकों से सेना के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। यहां पर हर साल तीन से चार महीने के लिए सेना के हथियारों और सामानों की आवाजाही गंभीर रूप से प्रभावित होती है। नई सुरंग तवांग की यात्रा में लगने वाले समय को कम से कम 1 घंटे तक कम कर देगी। साथ ही इसके शुरू होने के बाद सभी मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। अधिकारियों ने बताया कि सुरंग के पिछले साल पूरा होने और खोले जाने की उम्मीद थी,लेकिन लंबे समय तक सर्दियों के कारण निर्माणकार्य धीमा होने और सुरंग के अंदर कंक्रीट की स्थापना में देरी जैसी तकनीकी पहलुओं के चलते ऐसा नहीं हो सका।

दो पहाड़ियों से गुजरी है सुरंग

इस प्रोजेक्ट में सुरंग एक जो 980 मीटर लंबी है वही सुरंग दो 1500 मीटर लंबी है जो जुड़वा ट्यूब सुरंग है।ये सुरंगें सेला के पश्चिम में दो पहाड़ियों से होकर गुजरी है।प्रोजेक्ट में दो सड़क भी शामिल हैं, जो क्रमशः 7 किलोमीटर और 1.3 किलोमीटर है।सुरंग 2 में यातायात के लिए एक टू लाइन ट्यूब और इमरजेंसी के लिए एस्केप ट्यूब है। इसके निर्माण में 50 से अधिक इंजीनियर और 500 बीआरओ वर्कर्स शामिल रहे।इन लोगों ने ऑस्ट्रेलियाई टनलिंग तकनीक का यूज करके सेला सुरंग सुरंग को बनाया गया है। सुरंग को बनाने में चट्टान का ऑब्जरवेशन ऑफ रॉक बिहेवियर भी शामिल है।

 

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