बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का नामांकन शुक्रवार को समाप्त हो गया, लेकिन महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पाया है।कांग्रेस ने तो अपने 48 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, लेकिन आरजेडी ने अबतक कोई अधिकारिक सूची जारी नहीं की है। पहले चरण में 121 सीट पर चुनाव होना है और महागठबंधन के 127 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है।ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर पेच कहां फंसा है और अगर बातचीत सफल नहीं रही, तो क्या महागठबंधन टूट की ओर तो नहीं बढ़ेगा?
बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है, जिसके लिए नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। बावजूद इसके महागठबंधन में अबतक सीटों को एक लेकर समझौता नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से कई सीटों पर महागठबंधन के दो प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया है।इस स्थिति में महागठबंधन का भविष्य क्या होगा इस बारे में बात करते हुए आरजेडी के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है।महागठबंधन एकजुट है और पूरी उम्मीद है कि नामांकन वापस लेने की तारीख से पहले सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।
चित्तरंजन गगन ने कहा कि कुछ सीटों पर महागठबंधन में कुछ अस्पष्टता है, लेकिन बातचीत हो रही है और सबकुछ ठीक हो जाएगा। जिन सीटों पर दो-दो प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया है, वहां से नाम वापसी होगी और जिस उम्मीदवार की जीत की संभावना ज्यादा होगी, वही चुनावी मैदान रहेगा। शुक्रवार को आरजेडी की ओर से 71 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है, जल्दी ही सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। महागठबंधन में सीटों को लेकर किसी भी तरह के विवाद से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि हर पार्टी यह चाहती है कि वह अधिक से अधिक सीट पर चुनाव लड़े, यह बिलकुल स्वाभाविक बात है, लेकिन बातचीत में जिसकी जीत सुनिश्चित प्रतीत होगी, वहीं चुनावी मैदान में रहेगा, यह बात पूरी तरह स्पष्ट है।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर कोई विवाद नहीं है। बात पूरी तरह बन चुकी है और जल्दी ही सारी जानकारी सामने आ जाएगी।उक्त बातें कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कही।उन्होंने कहा कि सीटों के आदान-प्रदान पर बात चल रही है। पहले चरण के नामांकन में कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई, वीआईपी, सीपीएम सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने नामांकन किया है।हमारे बीच कोई विवाद नहीं है, कुछ बातें हैं, जो दो-एक दिन में निपट जाएगी, उसके बाद अधिकारिक सूची सामने आ जाएगी। महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है, कहीं कोई विवाद नहीं है।
महागठबंधन के घटक दल राजद और कांग्रेस भले ही यह दावा कर रहे हैं कि उनके बीच सबकुछ ठीक है, लेकिन सीट शेयरिंग पर अबतक बात ना बनना यह साबित करता है कि अंदरुनी खींचतान जारी है।पहले चरण में 121 और दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होना है।122 सीटों के लिए भी नामांकन की प्रक्रिया सोमवार 20 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी। जो स्थिति नजर आ रही है उसमें आरजेडी, कांग्रेस, माकपा, भाकपा और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से मिलकर बने महागठबंधन को अभी भी कई सीटों पर सहमति बनानी है। गौरतलब है कि अभी तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है, इस दौरान कई बार महागठबंधन के अंदर समझौता हो जाने की खबरें आई और बिना सीट शेयरिंग के लिस्ट आए ही खत्म हो गई। इस बीच प्रथम चरण के नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है और अब 20 अक्टूबर को दूसरे चरण के चुनाव की अंतिम तिथि भी ज्यादा दूर नहीं। हालांकि गठबंधन में टूट जैसी कोई स्थिति नहीं है और इनके घटक दल के नेता कई जगह आमने सामने उम्मीदवार खड़ा कर देने के बावजूद गठबंधन में एकजुटता होने का दावा कर रहे हैं।हालांकि उन्होंने बताया कि 121 सीट पर महागठबंधन के 127 प्रत्याशियों ने नामांकन कर दिया है।
आपसी तनाव की वजह से कांग्रेस व आरजेडी ने वैशाली और लालगंज सीट पर अपने-अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं। दोनों दलों के उम्मीदवारों ने शुक्रवार को अपना-अपना पर्चा दाखिल किया है।इसी तरह बछवाड़ा, बिहारशरीफ और राजपाकर सीट पर सीपीआई और कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशी उतारे हैं।मुंगेर के तारापुर सीट पर वीआईपी और आरजेडी दोनों के उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है। वामदलों के 23 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है। अभी की स्थिति में कुल 6-7 सीट ऐसे होंगे जहां, महागठबंधन के बीच फ्रेंडली फाइट की संभावना है।मुकेश सहनी भी नाराज हैं, डिप्टी सीएम की मांग पूरी नहीं हुई तो अब वे चुनाव ही नहीं लड़कर दवाब बनाकर अभी भी अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना चाह रहे हैं। कांग्रेस को भी 70 सीट चाहिए।कहने का आशय यह है कि जो महागठबंधन चुनाव से पहले बिलकुल साथ-साथ था, वो पहले दौर के नामांकन में बिखरा हुआ सा नजर आ रहा है।
इस बीच महागठबंधन को एक दो झटके भी लगे हैं। पहले पशुपति पारस के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी जो दलित वोटो को उनके पक्ष में ला सकती थी, उसने इस गठबंधन में आते आते इसमें आने से मना कर दिया और आज 18 अक्टूबर को जेएमएम जो आदिवासी वोटों को इस महा गठबंधन में ला सकती थी उसने भी महागठबंधन से अलग होकर 6 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
