Homeदेशआरक्षण बढ़ाने वाले बिल को लौटाकर राज्यपाल ने दिया झारखंड के हेमंत...

आरक्षण बढ़ाने वाले बिल को लौटाकर राज्यपाल ने दिया झारखंड के हेमंत सरकार को बड़ा झटका

Published on

अखिलेश अखिल
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने हेमंत सरकार के उस बिल को वापस लौटा दिया है जिसे पिछले महीने हेमंत सरकार ने ओबीसी,एससी और एसटी आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पेश किया था ।जिस समय विधान सभा में यह बिल पेश किया गया था उस समय इस बिल की सत्ता पक्ष को तरफ से काफी प्रशंसा की गई थी जबकि विपक्षी बीजेपी ने इस पर सीतराज जताया था ।अब राज्यपाल ने इस बिल को स्वीकृति दिए बगैर वापस भेज दिया है । झामुमो के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है ।

जानकारी के मुताबिक राज्यपाल राधाकृष्णन ने इस बिल पर केंद्र सरकार के एजी वेंकटरमनी से राय मांगी थी । अटॉर्नी जनरल ने अपने मंतव्य में आरक्षण की सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताया है ।राज्यपाल ने इसी को आधार मानकर बिल को वापस भेज दिया है और फिर से इस बिल पर समीक्षा करने की बात कही है । राज्यपाल की ओर से बिल लौटाए जाने के बाद झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को दूसरा बड़ा झटका लगा है। इससे पहले एक और विधेयक को पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने लौटा दिया था।

गौरतलब है कि हेमंत सोरेन सरकार ने बीते वर्ष 11 नवंबर को विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने के अलावा राज्य में 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी से जुड़े दो विधेयक एक साथ पारित कराया था। सरकार ने इन दोनों विधेयकों को ऐतिहासिक फैसला बताया था। ये दोनों विधेयक राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजे गए थे। इसके साथ ही सरकार ने दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति को भेजने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित किया था, ताकि दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जा सके।

राज्यपाल ने एक-एक कर दोनों विधेयक सरकार को लौटा दिए। डोमिसाइल पॉलिसी के विधेयक को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बताते हुए पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने पहले ही लौटा दिया था। अब विशेष सत्र में पारित दूसरे विधेयक को भी राज्यपाल द्वारा लौटा दिया जाना राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

सनद रहे कि राज्य सरकार द्वारा पारित कराए गए झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का प्रस्ताव था। इसी तरह अनुसूचित जाति (एससी) को मिलने वाला आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया था।

बता दें कि यह बिल मंजूर होने की सूरत में कुल मिलाकर राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 67 प्रतिशत हो जाता। राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल के मंतव्य का हवाला देते हुए बताया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहनी मामले में जातिगत आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित कर दी है। अटॉर्नी जनरल ने अपने मंतव्य में आरक्षण से संबंधित अन्य न्यायादेशों का भी जिक्र किया है।

Latest articles

मुस्लिम लीग और जिन्ना के दबाव में वंदे मातरम का बंटवारा हुआ,पीएम मोदी का बड़ा बयान

लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई चर्चा की शुरुआत...

स्मार्टफोन को डैमेज कर देंगी ये गलतियां, आखिरी वाली मिस्टेक तो 99% लोग करते हैं

आजकल स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा बन गया है। हम इससे फोटो...

बंगाल चुनाव की वजह से सदन में हो रही चर्चा, प्रियंका का पीएम मोदी पर सीधा निशाना

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सदन में वंदे मातरम पर चर्चा में हिस्सा लिया।...

आंख के सामने अचानक छा जाता है अंधेरा, कहीं इन बीमारियों की शुरुआत तो नहीं

आंखों के सामने अचानक अंधेरा छा जाना किसी के लिए भी डरावना अनुभव हो...

More like this

मुस्लिम लीग और जिन्ना के दबाव में वंदे मातरम का बंटवारा हुआ,पीएम मोदी का बड़ा बयान

लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई चर्चा की शुरुआत...

स्मार्टफोन को डैमेज कर देंगी ये गलतियां, आखिरी वाली मिस्टेक तो 99% लोग करते हैं

आजकल स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा बन गया है। हम इससे फोटो...

बंगाल चुनाव की वजह से सदन में हो रही चर्चा, प्रियंका का पीएम मोदी पर सीधा निशाना

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सदन में वंदे मातरम पर चर्चा में हिस्सा लिया।...