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सभी रेवड़ियों का बाप है पांच सेर अनाज ! खर्च सरकार का,राजनीति बीजेपी की

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 न्यूज़ डेस्क 

पांच किलो अनाज का खेल बड़ा है। इस खेल का कोई काट नहीं। सबसे बड़ा खेल। इब्से बड़ा रेवाड़ी। सध गया तो सब ठीक नहीं सधा तो कोई बात नहीं ,अपना तो कुछ जाता नहीं। बड़ी बात यही है कि पांच सेर अनाज पर देश मुग्ध है। जनता जयकारे लगा रही है। नीतीश ,लालू ,खड़गे हुए ममता भी अचंभित हैं। राहुल परेशां है।
मोदी का यह खेल बड़ा है। इसे सभी रेवड़ियों का बाप कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग की चुनावी रैली में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पांच साल तक यानी दिसंब 2028 तक चलती रहेगी। वैसे सबको अंदाजा था कि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं तो सरकार इस गेमचेंजर योजना को 31 दिसंबर 2023 को खत्म नहीं होने देगी। लेकिन ऐसा माना जा रहा था कि जैसे अभी तक इसे चार महीने या छह महीने के लिए बढ़ाया जाता था वैसे ही इस बार भी जून 2024 तक बढ़ाया जाएगा। लेकिन प्रधानमंत्री ने सबको चौंकाते हुए इसे पांच साल तक के लिए बढ़ा दिया। सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री पूरे भरोसे में हैं कि अगले पांच साल तक कोई विकास नहीं होगा, कोई गरीबी रेखा से बाहर नहीं आएगा, इस योजना का लाभ ले रहे 80 करोड़ लोग उसी स्थिति में रहेंगे, जिस स्थिति में अभी हैं इसलिए उन्होंने इस योजना को पांच साल के लिए बढ़ा दिया?
        तभी यह बड़ा सवाल है कि योजना को सीधे पांच साल के लिए क्यों बढ़ाया गया? इसे मार्च 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन की घोषणा के साथ शुरू किया गया था। तब इसे सिर्फ तीन महीने के लिए ही लागू किया गया था। लेकिन जून में इसे छह महीने यानी नवंबर तक बढ़ा दिया गया। ध्यान रहे नंवबर 2020 में बिहार विधानसभा के चुनाव थे। फिर इसे जून 2021 तक बढ़ाया गया। इस अवधि में मई 2021 में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी के विधानसभा चुनाव थे। इसी तरह यह योजना छह-छह महीने करके बढ़ती गई। इसकी अवधि दिसंबर में खत्म हो रही थी लेकिन उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इसे पांच साल के लिए बढ़ा दिया।
                   इसे पांच साल तक बढ़ाने के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा को कोई ऐसा दांव चलना था, जो बहुत बड़ा हो और जिसका जवाब विपक्ष के पास न हो। ध्यान रहे राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने मुफ्त में जो सेवाएं और वस्तुएं देने की घोषणा की हैं उन पर 55 हजार करोड़ रुपए साल में खर्च होगा। कर्नाटक की घोषणा पर 52 हजार करोड़ का खर्च है। लेकिन केंद्र सरकार की सिर्फ इस एक योजना पर हर साल करीब दो लाख करोड़ रुपए का खर्च है। सो, यह हर लिहाज से विपक्ष की सारी घोषणाओं से बड़ी घोषणा है।
                  दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि अगले साल मई में लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया खत्म होनी है। इसलिए अगर 31 दिसंबर को खत्म हो रही मुफ्त अनाज योजना को छह महीने के लिए बढ़ाया जाता तो उसकी अवधि 30 जून को खत्म होती और तब यह मैसेज बनता कि अगर भाजपा फिर लोकसभा का चुनाव जीत जाती है तो जून में यह योजना खत्म हो जाएगी। इससे लाभार्थियों को विपक्षी पार्टियां बरगला सकती थीं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने एक झटके में उसकी संभावना खत्म कर दी। अब 80 करोड़ लाभार्थियों को पता है कि ढेर सारी मुफ्त की चीजों और सेवाओं के साथ पांच साल तक हर महीने पांच किलो अनाज मिलता रहेगा और ऐसा प्रधानमंत्री मोदी की वजह से होगा।

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