न्यूज़ डेस्क
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम रविवार को आने हैं लेकिन जिस अंदाज में बीजेपी और कांग्रेस के तेवर दिख रहे हैं उसके कई मायने निकलते जा रहे हैं। दोनों पार्टियों के अपने दावे है। दोनों के दावे सभी जगह पर जीत की है। हालांकि हालिया एग्जिट पोल की कहानी कुछ अलग तरह की ही है। एग्जिट पोल भी दो दलों में बनते दिख रहे हैं। कुछ एग्जिट पोल बीजेपी के साथ खड़े हैं और उसकी सरकार को बनाते दिख रहे हैं ताकि आगे का नैरेटिव खड़ा किया जाए और बीजेपी यह कह सके कि एग्जिट पोल में भी यही सब कहा गया था। कई जानकार यह भी मन रहे हैं कि मतगणना के दौरान भारी गड़बड़ी की भी सम्भावना है। तेलंगाना में मत प्रतिशत दो दिन के बाद बढ़ने की खबर सामने आयी है।
खेल चाहे जो भी हो लेकिन बीजेपी और कांग्रेस की पूरी प्रतिष्ठा इन पांच राज्यों के चुनाव पर ही टिकी हुई है। चुनाव में जीत हुई तो मन मर्यादा बढ़ेगी और हार हो गई तो इकबाल पर सवाल उठाएगा। प्रतिष्ठा तो राहुल और मोदी भी फंस गई है। ये चुनाव इन्ही दो चेहरों पर हुए हैं।
अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इन चुनाव परिणामों का देश की राजनीति और अगले साल होने वाले आम चुनाव में क्या असर हो सकता है। हालांकि, पिछले आम चुनाव के नतीजे साल 2018 के विधानसभा चुनावों के हिसाब से एकदम उलट थे। मसलन राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें बनीं, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजस्थान की सभी 25 सीटें जीतकर कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया तो कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की 11 में से दो और मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 29 में से एक ही सीट मिल सकी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार परिदृश्य कुछ बदला हुआ है। फिर भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का अगले आम चुनाव पर असर पड़े, न पड़े लेकिन एक बात साफ है कि देश की सियासी तस्वीर जरूर बदली हुई नजर आ सकती है। कांग्रेस की अगुवाई में 28 पार्टियों वाला ‘इंडिया’ गठबंधन आकार ले चुका है और चुनाव परिणामों के बाद इसकी गतिविधियां भी बढ़ेगी, वहीं केंद्र की भाजपा नीत एनडीए सरकार भी परिणामों के अनुरूप खुद को ‘चुनावी मोड’ में डालेगी।
पहले जानते हैं कि लोकसभा में पांच राज्यों की हिस्सेदारी क्या है ? बीजेपी की क्या स्थिति और और कांग्रेस कहाँ खड़ी है ?राज्यों के हिसाब से देखें तो राजस्थान में कुल सीटेंः 25, भाजपा-24, आरएलपी-01,मध्यप्रदेश में कुल सीटेंः 29, भाजपा-28, कांग्रेस-01,छत्तीसगढ़ में कुल सीटेंः 11, भाजपा-09, कांग्रेस-02,तेलंगाना में कुल सीटेंः 17, बीआरएस-09, भाजपा-04, कांग्रेस-03,एआइएमआइएम-01और मिजोरम में कुल सीटः 01, मिजो नेशनल फ्रंट-01 2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसा ही कुछ हाल रहा है।
अब इन पांच रज्यों में जो परिणाम आएंगे उसके बाद ही कांग्रेस और बीजेपी की नयी तस्वीर सामने आएगी। भाजपा जीती तो… लगेगी केंद्रीय योजनाओं पर मुहर। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव बीजेपी जीती तो ब्रांड मोदी और मजबूत होगा। इसके साथ ही केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं पर लगेगी मुहर। हार से हताश विपक्ष में हो सकता है बिखराव और जिसकी सम्भावना कुछ ज्यादा ही है। इसके साथ ही आम चुनाव में जनादेश पक्ष में होने का नैरेटिव बनाने में भाजपा को होगी आसानी।
उधर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आते हैं तो कांग्रेस की राजनीति को बढ़ावा मिलेगा। हिंदी बेल्ट में चुनाव जीतने से देश की राजनीति में कांग्रेस की बढ़ेगी अहमियत और पार्टी के बाहर भी बढ़ेगा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कद, राहुल की बढ़ेगी स्वीकार्यता। कांग्रेस में ुर्य का संचार होगा। संगठन मजबूत होगा और देश के लोगों में भी कांग्रेस के प्रति एक अलग नजरिया होगा। गठबंधन के भविष्य पर आशंकाएं समाप्त होने के साथ अन्य दल भी शामिल होने को हो सकते हैं आतुर। पीएम मोदी का विकल्प कौन वाला प्रश्न चिह्न मिटाने के हो सकते हैं प्रयास और गठबंधन में सीट शेयरिंग में बढ़ सकती है कांग्रेस की बार्गेनिंग पावर।
राष्ट्रीय राजनीति पर असर तेलंगाना के नतीजों का भी रहेगा। वहां सत्ता की हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे बीआरएस के के. चंद्रशेखर राव ‘गैर कांग्रेस, गैर भाजपा’ गठबंधन की बात करते रहे हैं। यदि वह सरकार नहीं बना पाए तो अपनी ये धारणा छोड़ एनडीए की तरफ आकृष्ट हो सकते हैं और चुनाव जीत गए तो अपनी पार्टी को राष्ट्रीय फलक पर फैलाने की उनकी कोशिशें तेज हो जाएंगी। आम चुनाव में केसीआर एनडीए और ‘इंडिया’ दोनों से अपने हिसाब से बार्गेनिंग करने की स्थिति में होंगे।
