विकास कुमार
एनसीपी के नेता अजित पवार के महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में शामिल होने के बाद शिंदे खेमे में बेचैनी का माहौल है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के नेताओं की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है। शिंदे ने कहा कि परेशान होने की कोई बात नहीं है। शिंदे ने शिवसेना विधायकों, एमएलसी और सांसदों की बैठक की अध्यक्षता की। दरअसल अजित पवार के एनसीपी के गुट के बीजेपी के साथ आने पर शिंदे खेमे ने चिंता व्यक्त की है। शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने कहा कि मंत्री पद की चाह रखने वाले बीजेपी और शिवसेना के नेताओं की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं,और उनमें से कुछ नाराज हैं तथा मुख्यमंत्री शिंदे इस भावना से अवगत हैं।
बदले हुए राजनीतिक समीकरण के बीच शिवसेना विधायकों और सांसदों ने दक्षिण मुंबई में शिंदे के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में एक बैठक में शिरकत की। बैठक में मानसून सत्र और पार्टी के संगठन को मजबूत करने पर चर्चा हुई। इस बैठक में शिंदे ने खुलासा किया कि उन्हें एनसीपी में अचानक हुए घटनाक्रम के बारे में पता था। चूंकि राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेज गति से हुआ, इसलिए शिवसेना के जनप्रतिनिधियों को उस बारे में पहले से सूचित नहीं किया जा सका। शिंदे ने कहा कि अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी समूह के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने से पार्टी को ही मदद मिलेगी। शिंदे ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है,क्योंकि बीजेपी और शिवसेना एक साल से सरकार में हैं,और एनसीपी के सरकार में शामिल होने से इसके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शिवसेना प्रवक्ता संजय शिरसाट ने संकेत दिया था कि नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद पार्टी के एक वर्ग में कुछ बेचैनी है। अजित पवार खेमे से नौ मंत्रियों के शामिल होने के बाद, शिंदे-फडणवीस कैबिनेट में कुल 29 मंत्री हो गए हैं। हालांकि 14 पद अब भी खाली हैं।
शिंदे गुट के विधायक मंत्री बनने के लिए व्याकुल थे,लेकिन बीच में ही पासा पलट गया। लगता है कि उनके इंतजार की घड़ी कभी खत्म नहीं होने वाली है।