Homeदेशअयोध्या के भव्य मंदिर परिसर में भगवान राम के गुरुओं के भी...

अयोध्या के भव्य मंदिर परिसर में भगवान राम के गुरुओं के भी मंदिर बनेंगे 

Published on

न्यूज़ डेस्क 
22 जनवरी को अयोध्या के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। इसकी तैयारी देश भर में की जा रही है। बीजेपी ,संघ ,विहिप और बजरंग दल से जुड़े लोगों के अलावा संघ से जुड़े  तमाम संगठन इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। मकसद यही है कि प्रभु राम के मंदिर का उद्घाटन भव्य हो और इसकी गूंज देश भर के सनातनियों के बीच हो और दुनिया भर में फैले सनातनी को भी यह सन्देश मिल जाये कि प्रभु राम अब अपने महल में विराज,मन हो रहे हैं। लम्बे समय तक प्रभ राम टेंट में रह रहे थे।

लेकिन इस बीच एक और बड़ी खबर अयोध्या से निकल रही है। खबर ये हैं कि प्रभु राम को आदर्श बनाने में जिन गुरुओं की महत्ता रही है उन सबका मंदिर भी  परिसर में तैयार जा रहा है।  राम जन्मभूमि परिसर में रामायण कालीन ऋषि-महर्षि भी विराजमान होंगे और रामलला पर कृपा बरसाते नजर आएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम जन्मभूमि में ऐसे ऋषि-महर्षियों का मंदिर बनाने की तैयारी है, जिनका भगवान श्रीराम के जीवन पर प्रभाव रहा है। परिसर में महर्षि वशिष्ठ, वाल्मीकि, विश्वामित्र व अगस्त्य के भी मंदिर बनेंगे।

भगवान राम जन-जन के हैं, सबके अपने-अपने राम हैं, इसकी झलक भी राम जन्मभूमि परिसर में भक्तों को दिखेगी। राम जन्मभूमि परिसर में रामायण काल के ऋषि-मुनियों के भी मंदिर प्रस्तावित हैं,जिनका निर्माण कार्य मंदिर के उद्घाटन के बाद शुरू हो जाएगा। इन सभी ऋषियों का राम के जीवन पर गहरा प्रभाव रहा। ऋषि वाल्मीकि ने राम की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया था। वाल्मीकि के मंदिर के जरिए श्रीराम के समरसता का संदेश देने की भी कोशिश है। इससे पहले 30 दिसंबर को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नाम भी बदलकर महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट कर दिया गया है।

 वहीं भगवान राम के कुल गुरु वशिष्ठ के काल में जितनी महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं वे रामराज्य में सहायक बनीं। एक तरह से वे रामराज्य रूपी महल के संबल थे। राम के रूप में ईश्वर प्रगट हुए, इसका एक कारण वशिष्ठ भी थे, क्योंकि उन्होंने ही पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। इसी तरह महर्षि विश्वामित्र का भी श्रीराम के जीवन में गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने भगवान श्रीराम को धनुर्विद्या और शास्त्र विद्या का ज्ञान दिया था। भगवान राम को परम योद्धा बनाने के पीछे विश्वामित्र ही थे। जबकि वनवास काल के दौरान महर्षि अगस्त्य ने श्रीराम का मार्गदर्शन किया था, उनकी कृपा श्रीराम को मिली थी।

Latest articles

IND vs NZ : न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया का शर्मनाक प्रदर्शन, 46 रन पर ढ़ेर हुई दुनिया की नंबर वन टीम

न्यूज डेस्क भारत बनाम न्यूजीलैंड 3 मैच की सीरीज का पहला टेस्ट बेंगलुरु के एम...

लॉरेंस विश्नोई को सलमान खान ने दी बड़ी चुनौती,माना आप बहुत ताकतवर हो लेकिन क्या अपने लोगों को…’

महाराष्ट्र में उद्योगपति और राजनेता बाबा सिद्दीकी की बीते शनिवार को गोलीमार कर हत्या...

More like this