न्यूज डेस्क
बिहार के चंपारण में ज़हरीली शराब पीने से फिर 22 लोगों की मौत हो गई है। संभव है यह सिलसिला आगे भी चले और मौत के आंकड़े बढ़ते जाएं। बिहार में शराबबंदी है लेकिन शराबी शराब पीने से बाज नहीं आ रहे। शराब की तस्करी जारी है और इस खेल में स्थानीय पुलिस भी शामिल है। उधर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है और जहरीली शराब के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेदार मानते हुए इस्तीफे को मांग को है। सुशील मोदी ने कहा है कि 2016 से शराबबंदी है लेकिन जहरीली शराब से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इसके लिए नीतीश सरकार जिम्मेदार हैं। उन्हे इस्तीफा देना चाहिए।
सुशील मोदी ने बयान जारी कर कहा कि वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से जहरीली शराब पीने की घटनाओं में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि यह हादसा नहीं, दलितों-गरीबों की हत्या का मामला है और इसकी जिम्मेदारी लेकर नीतीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए।
बीजेपी सांसद ने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों और उनके आश्रितों के प्रति नीतीश कुमार की कोई सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वी चम्पारण में जहरीली शराब से जिनकी मृत्यु हुई, उनके आश्रितों को भी उत्पाद कानून के अनुसार चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलनी चाहिए। खजूरबन्ना (गोपालगंज) में जहरीली शराब से मरने वाले 30 लोगों को मुआवजा दिया गया गया था।
मोदी ने कहा कि जदयू-राजद सहित जिन सात दलों के राज में दो दिन के भीतर जहरीली शराब से दलित-आदिवासी समुदाय के 30 से ज्यादा लोगों की जान गई, वे उत्तर प्रदेश के एक माफिया के गैंगवार में मारे जाने पर आंसू बहा रहे हैं। उन्होंने कहा कि माफिया अतीक और उसके गुर्गों के मारे जाने से उत्तर प्रदेश की जनता खुश है, लेकिन जिन्होंने बिहार में शहाबुद्दीन को माफिया बनाया वे पड़ोसी राज्य के एक दुर्दांत माफिया का मजहब देख कर उसकी मौत पर छाती पीट रहे हैं।
बीजेपी सांसद मोदी ने कहा कि लालू-राबड़ी राज में मंत्री वृजबिहारी प्रसाद को पुलिस सुरक्षा में रहते हुए अस्पताल परिसर में गोलियों से भून दिया गया था। अजित सरकार, अशोक सिंह सहित आधा दर्जन विधायकों की हत्या भी उसी दौर में हुई लेकिन राजद से मिल कर सत्ता पाने वाले लोग यह सब भूल गए। उन्होंने कहा कि राजद शासन में दलित-पिछड़े हत्या-नरसंहार का शिकार होते थे, आज चाचा-भतीजा राज में जहरीली शराब के जरिये दलित-आदिवासी का नरसंहार हो रहा है।
सुशील मोदी जिस आधार पर नीतीश कुमार से इस्तीफे को मांग कर रहे हैं तो गुजरात देंगे के समय जो मौत हुई थी उसपर किसी ने इस्तीफा क्यों नही दिया । नोटबंदी के समय जिन लोगों को जाने गई क्या किसी ने इस्तीफा दिया ? पुलवामा में जिस तरह से हमारे 40 जवान शहीद हुए किसी ने इस्तीफा दिया,? हालाकि सुशील मोदी का बयान नैतिकता से जुड़ा है। शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को अपनी जिम्मेदारी मानकर इस्तीफा देना चाहिए। लेकिन क्या राजनीति में कोई नैतिकता बची है ? देश में कोई भी एक नेता है जो नैतिकता का वरण किए हुए है ? सच तो ये है आज की ठगनी राजनीति में नैतिकता खत्म हो गई है।