विकास कुमार
मणिपुर वायरल वीडियो को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस वीडियो को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सख्त सवाल पूछा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से कानूनी पहलुओं पर सवाल पूछा, उन्होंने पूछा कि 4 मई की घटना पर पुलिस ने 18 मई को FIR दर्ज की , 14 दिन तक कुछ क्यों नहीं हुआ?। वीडियो वायरल होने के बाद यह घटना सामने आई कि महिलाओं को नग्न कर घुमाया गया, और कम से कम दो के साथ बलात्कार किया गया। पुलिस तब क्या कर रही थी? मान लीजिए कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के एक हजार मामले दर्ज हैं, क्या सीबीआई सब केस की जांच कर पाएगी?
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जांच टीम में सीबीआई की एक जॉइंट डायरेक्टर रैंक की महिला अधिकारी को रखा जाएगा। वहीं सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें जानना है कि छह हजार एफआईआर का वर्गीकरण क्या है, इनमें कितने जीरो FIR हैं, क्या कार्रवाई हुई है, कितनी गिरफ्तारी हुई है?। हम कल सुबह फिर सुनवाई करेंगे, परसों अनुच्छेद 370 केस की सुनवाई शुरू हो रही है इसलिए इस मामले की कल ही सुनवाई करनी होगी। सवाल यह भी है कि पीड़ित महिलाओं का बयान कौन दर्ज करेगा?। एक 19 साल की महिला जो राहत शिविर में है, पिता या भाई की हत्या होने से घबराई हुई है, क्या ऐसा हो पाएगा कि न्यायिक प्रक्रिया उस तक पहुंच सके?”
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पीड़ितों के बयान हैं कि उन्हें पुलिस ने भीड़ को सौंपा था,ये निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक बलात्कार हुआ था। वो भी काफी भयावह था लेकिन इससे अलग था। सीजेआई ने कहा कि यहां हम प्रणालीगत हिंसा से निपट रहे हैं, जिसे आईपीसी एक अलग अपराध मानता है। वहीं, सीजेआई ने कहा कि किसी भी समुदाय के प्रति हिंसा हुई हो, हम उसे गंभीरता से लेंगे। यह सही है कि ज़्यादातर याचिकाकर्ता पक्ष कुकी समुदाय की तरफ से हैं। उनके वकील अपनी बात रख रहे हैं लेकिन हम पूरी तस्वीर देख रहे हैं। सीजेआई ने आगे कहा कि निश्चित रूप से मैतेई समुदाय के लोग भी पीड़ित होंगे। हिंसा दोतरफा होती है इसलिए भी हम एफआईआर के वर्गीकरण को देखना चाहते हैं।
मणिपुर में हिंसा और जातीय तनाव को रोकने में सरकार अभी तक नाकाम रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मणिपुर में हालात सामान्य हो जाए।