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शिवसेना पर शिंदे का कब्ज़ा ,लेकिन यह शूल उद्धव को हमेशा भेदता रहेगा 

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अखिलेश अखिल 
सब समय का ही चक्र है। जिस बाला साहेब ठाकरे की हनक से केंद्र तक की सरकार कांपने लगती थी आज उसी बाला साहेब ठाकरे की पार्टी परिवार के विरोधी हुए शिंदे गुट के पास चली गई। शिवसेना से अलग होकर शिंदे गुट ने ठाकरे परिवार को तो  पहले ही पैदल करने की तैयारी कर दी थी लेकिन ठकरे की विरासत ही कुछ ऐसी है कि शिंदे भले ही बीजेपी के साथ मिलकर शिवसेना और धनुष बाण पर कब्ज़ा कर लिए हों लेकिन आज भी महाराष्ट्र की जनता मातोश्री के सामने ही नतमस्तक होती है। यह सब बालासाहेब और मातोश्री के बीच का सम्बन्ध है। लेकिन ठगिनी राजनीति खेल हैं। कल तक बीजेपी शिवसेना की सहयोगी थी लेकिन आज सबसे बड़ी दुश्मन। अब तो सवाल ही नहीं उठता कि भविष्य में भी कभी उद्धव और बीजेपी एक साथ होंगे। शिवसेना का छीन जाना उद्धव के सीने पर शूल चुभने जैसा ही तो है।

साफ़ है कि बीजेपी के सहयोग और चुनाव आयोग के खेल की वजह से शिवसेना और उसके चुनाव चिन्ह पर शिंदे का कब्जा कर दिया गया है। आज शिंदे को जितनी ख़ुशी नहीं होगी उससे ज्यादा उल्लास में बीजेपी होगी। उसने शिवसेना का मान मर्दन किया , परिवार पार्टी को उससे जुदा कर दिया। मामला तो बस यही कि बीजेपी से अलग क्यों हुई थी शिवसेना ?

आज मातोश्री में उद्धव से मिलने बहुत से शिवसैनिक पहुंचे। जब लोगो को कल इस बात की जानकारी मिली कि चुनाव आयोग ने शिवसेना और उसके चुनाव चिन्ह को शिंदे के हवाले कर दिया ,महाराष्ट्र के पावन मातोश्री की तरफ बढ़ गए। आज मातोश्री पर मजमा लगा। उद्धव बेहद नाराज थे और आगबबूला भी। मातोश्री पर उद्धव ठाकरे आज अपने वर्कर्स से रूबरू हुए तो उनके तीखे तेवर साफ दिखाई दिए। उद्धव ने वर्कर्स से साफ लहजे में कहा कि एकनाथ शिंदे और उनके लोगों को कड़ा सबक सिखाया जाएगा।

इलेक्शन कमीशन के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे शिवसेना(यूबीटी) के प्रमुख होकर रह गए हैं। उन्होंने शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए अपने समर्थकों से कहा कि पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चुरा लिया गया है। चोर को सबक सिखाने की जरूरत है। उद्धव पार्टी के नेताओं के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करने से पहले यहां बांद्रा स्थित अपने आवास ‘मातोश्री’ के बाहर समर्थकों को संबोधित कर रहे थे।

याद रहे चुनाव आयोग ने शुक्रवार को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष-बाण’ चिह्न शिंदे खेमे को आवंटित कर दिया। यह पहला मौका है, जब ठाकरे परिवार ने पार्टी पर अपना नियंत्रण खो दिया है, जिसकी स्थापना बाल ठाकरे ने 1966 में की थी। उद्धव ने कहा कि वो पकड़े गए हैं। मैं चोर को धनुष-बाण के साथ मैदान में आने की चुनौती देता हूं। हम इसका मुकाबला मशाल से करेंगे। उद्धव के समर्थक मातोश्री के बाहर एकत्र हुए और शिंदे के विरोध में नारे लगाये। उद्धव ने अपनी पार्टी के नेताओं से राज्य का दौरा करने और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने को कहा।

महाराष्ट्र की राजनीति में इलेक्शन कमीशन का फैसला भूचाल लाने वाला रहा है। अपने पिता की स्थापित पार्टी धुर विरोधी एकनाथ शिंदे के पास जाने से उद्धव ठाकरे का गुस्सा मातोश्री के बाहर साफ तौर पर देखने को मिला। हालांकि राकांपा चीफ शरद पवार ने उद्धव को सलाह दी है कि वो अपनी नई पार्टी और नए चुनाव निशान के माध्यम से विरोधियों का मुकाबला करें। मातोश्री की बैठक में उद्धव पवार की सलाह पर अमल करते दिखे। उन्होंने वर्कर्स से कहा कि वो जुट जाएं और एकनाथ शिंदे और उनकी टीम को धूल चटा दें।

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