विकास कुमार
महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। शरद पवार से मुलाकात हो या फिर एनसीपी पर दावा, अपने फैसलों की वजह से अजित पवार लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। इस बीच अजित पवार ने ऐसा कदम उठा लिया जिसके बाद एक बार फिर विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। दरअसल, डिप्टी सीएम अजित पवार ने एक प्रोजोक्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की और कई प्रोजेक्ट पर मीटिंग ली। इस मीटिंग में सरकार के सभी सीनियर अधिकारी मौजूद रहे। खास बात ये रही कि इस बैठक में मुख्यमंत्री के वॉर रूम सर्वेक्षक राधेश्याम मोपलावर भी मौजूद थे और अजित पवार ने बैठक में राज्य के महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की। इस बैठक के बाद अधिकारियों के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि परियोजनाओं की प्रोग्रेस की निगरानी वास्तव में कौन करता है? अजित पवार ने जो मैनेजमेंट यूनिट शुरू किया है वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में शुरू की गई वार रूम के ठीक बगल में है। विपक्ष ने पूछा कि क्या इस वॉर रूम से सरकार में शीत युद्ध शुरू हो चुका है?
इस वॉर रूम में शिंदे समृद्धि हाईवे, रिंग रोड जैसी पचास से ज्यादा परियोजनाओं की समीक्षा कर चुके हैं। महाविकास अघाड़ी की सरकार के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसका नाम बदलकर संकल्प चैंबर कर दिया था। सत्ता बदलने के बाद एक बार फिर वॉररूम नाम बरकरार रखा गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसी वॉर रूम से कुछ परियोजना समीक्षा बैठकें भी की थीं, लेकिन विपक्ष ने सवाल पूछना शुरू कर दिया है कि क्या इस वॉर रूम से सरकार में शीत युद्ध शुरू हो गया है। ऐसे में ये सवाल उठने लगा है कि क्या अजित पवार ने मुख्यमंत्री के अधिकार में दखलअंदाजी की है?