विकास कुमार
लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग की संभावित तस्वीर सामने आ गई है। बताया जा रहा है कि लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस तीन सौ बीस से तीन सौ तीस सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं। इनमें करीब ढ़ाई सौ सीटें ऐसे राज्यों में हैं जहां कांग्रेस अकेले लड़ सकती है। जबकि करीब 75 सीटें उन 9 राज्यों में हैं, जहां कांग्रेस सहयोगियों के साथ गठबंधन में है। कांग्रेस की गठबंधन कमेटी सीटों के संबंध में अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंप सकती है। इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व सीट बंटवारे पर सहयोगी दलों से बात करेगा।
- इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग की संभावित तस्वीर सामने आई
- बिहार में 40 लोकसभा सीट पर शेयरिंग का फॉर्मूला सामने आया
- आरजेडी और जेडीयू 17 सीट,कांग्रेस 4 सीट और लेफ्ट 2 सीट पर लड़ेगी चुनाव
- छत्तीसगढ़ में 11 सीट पर कांग्रेस लड़ेगी लोकसभा चुनाव
- हरियाणा की 10 में से आप को मिल सकती है दो से तीन सीट
- हिमाचल प्रदेश में 4 लोकसभा सीट पर कांग्रेस लड़ेगी चुनाव
- झारखंड में कांग्रेस 7 , जेएमएम 4, आरजेडी- जेडीयू एक सीट पर लड़ेगी चुनाव
- मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी लोकसभा चुनाव
- ओडिशा की 21 सीट पर कांग्रेस लड़ेगी लोकसभा चुनाव
- पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन की संभावना है कम
- राजस्थान में कांग्रेस 25 सीट पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव
- उत्तर प्रदेश की 80 सीट में से कांग्रेस को मिल सकती है 8 से 10 सीट
- यूपी में सपा 65 सीट तो स्थानीय दल 5 से 7 सीट पर लड़ेंगे चुनाव
- उत्तराखंड में 5 सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी लोकसभा चुनाव
- पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को मिल सकती है 2 से 4 सीट
- जम्मू कश्मीर में कांग्रेस 2,एनसी 2 और पीडीपी 1 सीट पर लड़ेगी चुनाव
- लद्दाख की 1 सीट पर कांग्रेस लड़ेगी लोकसभा चुनाव
- दिल्ली में कांग्रेस 3 तो आप 4 सीट पर लड़ेगी चुनाव
- चंडीगढ़ की एक सीट पर कांग्रेस लड़ेगी लोकसभा चुनाव
इंडिया गठबंधन की अब तक पटना, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में चार बैठकें हो चुकी है। इस गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीटों का बंटवारा और चेहरा तय करना है। इंडिया गठबंधन में जनवरी के आखिर तक सीट शेयरिंग पर अंतिम मुहर लग सकती है। क्षेत्रीय दल अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने अपनी तरफ से एक फॉर्मूला तैयार किया है।अब इस फॉर्मूला पर आम सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।