नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे को बढ़ाने के लिए नयी रणनीति पर काम कर रही है। सरकार का लक्ष्य तीन करोड़ करदाता बनाने का है, जो फिलहाल 1.4 करोड़ है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें कोशिश करेंगे। इसकी शुरुआत बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) और प्रॉपर्टी टेक्स में गैर पंजीकृत कारोबारों की पहचान करने के लिए उनके आंकड़ों को साझा करने के पायलट प्रोजेक्ट से हुई है।
तीन राज्यों में शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट
केद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के प्रमुख विवेक जौहरी ने कहा कि तीन राज्यों में अलग अलग मामलों के तहत पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश में डिस्कॉम के साथ आंकड़ा साझा करने और गुजरात में पैन आधारित लिकेज प्रोजेक्ट चल रहा है। महाराष्ट्र में संपत्ति कर डाटा को साझा करने और कारोबारों को जियो टैग करने व उनकी संपत्ति के साथ जोड़ने पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू हैं।
नए करदाताओं की पहचान की जाएगी
उन्होंने कहा कि हम रणनीति पर काम कर रहे हैं। जीएसटी का विस्तार करने का मतलब होगा कि हमें उन करदाताओं को देखना होगा जो कर के दायरे में हैं या नहीं। हमारे पास सभी एजेंसियों से मजबूत आंकड़े मिले हैं। विभाग डाटा बेस से यह देखने के लिए मिलान करेगा कि जो लोग कारोबार वाले बिजली कनेक्शन लिए हैं वे कर विभाग के डाटाबेस में हैं या नहीं। इसके आधार पर उनकी पहचान की जाएगी।
केंद्र व राज्य मिलकर करेंगे प्रयास:वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार कर संग्रह बढ़ाने के लिए हर स्तर पर जीएसटी का विस्तार करने का प्रयास करेंगे। ध्यान इस बात पर देना होगा कि हम कर के दायरे को बढ़ाने के लिए कितना प्रयास कर रहे हैं।
साढ़े पांच साल बाद भी केवल 1.4 करोड़ करदाता
विवेक जौहरी ने कहा कि यदि कोई ग्राहक प्रॉपर्टी या कारोबार के लिए बिजली लिया है और जीएसटी में पंजीकृत नही है तो उसकी आसानी से पहचान की जा सकेगी। 1 जुलाई 2017 को लॉन्च किए गय जीएसटी में साढ़े पांच साल बाद भी इतने कम संख्या में करदाताओं के होने से विभाग के राजस्व के नुकसान होने की जानकारी मिली है। हालांकि हर महीने औसतन 1.4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का जीएसटी मिल रहा है।