लोगों को अक्सर लगता है की स्मार्टफोन हैकिंग अक्सर हाई-टेक तकनीक से किया जाता है, लेकिन असलियत में ज्यादातर साइबर हमले बेहद साधारण तरीकों से की जाती हैं। हैकर्स अब किसी मुश्किल कोड या खतरनाक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कम ही करते हैं, बल्कि वो हमारी रोजमर्रा की आदतों और चाल चलन को निशाना बनाते हैं।उनका मकसद भरोसे, दिनचर्या और तुरंत रिएक्शन का फायदा उठाकर आपकी पर्सनल जानकारियां तक पहुंच बनाना होता है।
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है की हम हमेशा सतर्क रहें क्यूंकि साइबर अपराधी कुछ आम तरकीबों को अपना कर ही आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। आइए जानते हैं ऐसे सामान्य तरीके, जिनसे लोग अक्सर धोखा खा जाते हैं और साइबर हमलों या ऑनलाइन स्कैम के शिकार बन जाते हैं।
पेमेंट सिस्टम में QR कोड के आ जाने से पेमेंट करना तो आसान हो गया है लेकिन इसी का फायदा स्कैमर्स उठाते हैं। स्कैमर्स असली QR कोड की जगह पर नकली स्टिकर चिपका देते हैं।जब आप कोड को स्कैन करके पेमेंट करते हैं, तो पैसा उनके खाते में चला जाता है। इस जाल में लोग आसानी से फस जाते हैं क्यूंकि यह प्रोसेस पेमेंट करने का काफी आसान तरीका है और अब हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गई है।
कई बार लोग ऐसे ऐप्स डाउनलोड कर लेते हैं जिनमें मेलवेयर छुपे होते हैं। फाइल क्लीनर, फ्लैशलाइट या बैटरी सेविंग जैसे ऐप्स कई बार भरोसेमंद प्लेटफॉर्म जैसे प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध होते हैं, जिससे यूजर्स बिना ज्यादा सोच-विचार के इन्हें इंस्टॉल कर लेते हैं। एक बार अगर ये ऐप्स मोबाइल में इंस्टॉल हो गए तो उसके बाद ये चुपके से आपकी लोकेशन, मैसेज और निजी जानकारियां तक पहुंच जाते हैं।
अक्सर हमें SMS या WhatsApp मैसेज मिलता है जिसमें लिखा होता है कि हमारी कोई पार्सल डिलीवरी मिस हो गई या बैंक से जुड़ा कोई वेरिफिकेशन अधूरा रह गया है।यह मैसेज लिंक के रूप में आते है जो एकदम असली लगते हैं। चूंकि आज के समय में लगभग हर किसी के पास कोई न कोई डिलीवरी या बैंक अकाउंट होता ही है, इसलिए यह जाल ज्यादातर लोगों को सच लगता है और उस लिंक पे क्लिक कर देते हैं। SMS और WhatsApp जैसे निजी प्लेटफॉर्म्स से आए मैसेज अक्सर भरोसेमंद लगते हैं, और यही इस धोखे की सबसे बड़ी खासियत है।
फर्जी कॉल्स करने वाले अक्सर खुद को किसी बैंक या सरकारी संस्था का अधिकारी बताता है। वो आपसे बहुत प्रोफेशनल तरीके से बात करते हैं और धीरे धीरे आपकी निजी जानकारियां जैसे नाम या मोबाइल नंबर हासिल करते हैं। बातचीत के दौरान अक्सर डराने वाला माहौल बनाते हैं जैसे, “आपका खाता बंद हो सकता है,” या “संदिग्ध लेन देन हुआ है” इनका मकसद डर नहीं, आपका जल्दी रिएक्शन लेना होता है, ताकि आप बिना सोचे समझे अपनी गोपनीय जानकारी इन्हें साझा कर दें।