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कांग्रेस ने जी-23 गुट का मुद्दा दबाया,राजस्थान में आल इज वेल का संदेश, सीडडब्ल्यूसी में फेर बदल के मायने

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बीरेंद्र कुमार झा
कांग्रेस ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की नई टीम का ऐलान कर दिया है।पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे आखिरकार राजस्थान गतिरोध को खत्म करने में कामयाब रहे हैं ।उन्होंने सचिन पायलट को सीडब्ल्यूसी में शामिल कर राजस्थान में ऑल इज वेल का संदेश दे दिया है ,क्योंकि राजस्थान में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं, उसके बाद सचिन पायलट का एआईसीसी महासचिव बनाना तय है।

पार्टी की कोशिश है कि चुनावी राज्य राजस्थान में शानदार वापसी की जाए और चुनावी विश्लेषकों को चौंका दिया जाए।हालांकि ऐसा होता है,तो सचिन एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाकर खुद को मुख्यमंत्री बनने के लिए लामबंदी कर सकते हैं।

खड़गे ने मनाया और पायलट को दी जिम्मेवारी

पिछले कई हफ्तों और महीना से खड़गे राजस्थान में टकराव खत्म करने और शांति स्थापित करने के लिए जूझ रहे थे।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने धुर विरोधी सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष या उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए तैयार नहीं थे।वहीं खड़गे की योजना में सचिन को एक ऐसी संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है,जिसकी उपयोगिता राजस्थान से बाहर तक फैली हुई है, जबकि सचिन कथित तौर पर गृह राज्य राजस्थान में एक बड़ी भूमिका चाहते थे। ऐसे में खड़गे अभिवावक की तरह आये और पायलट से राजस्थान के बाहर एक भूमिका पर विचार करने का आग्रह किया।

जी – 23  के नेताओं को भी मिली तरजीह

नवगठित सीडब्ल्यूसी के जरिए कांग्रेस ने जी – 23 फैक्टर को भी सफलतापूर्वक दफन कर दिया है। खड़गे ने चतुराई से शशि थरूर,आनंद शर्मा,मुकुल वासनिक, वीरप्पा मोइली मनीष तिवारी (तिवारीऔर मोइली को स्थाई आमंत्रित सदस्य बना दिया है) और अन्य नेताओं को भी जगह दी है ,जिन्होंने तत्कालीन एआईसीसी की अंतिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजा था। उस पत्र में पार्टी नेतृत्व के संचालन पर सवार उठाया गया था। इस घटनाक्रम के बाद जी- 23 के कई प्रमुख नेताओं में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी थी।

थरूर को शामिल करके दिया संदेश

पिछले साल थरुर ने एआईसीसी अध्यक्ष पद के लिए खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ा था, और सीडब्ल्यूसी की नई टीम में थरूर को शामिल करके खड़गे ने एक स्वस्थ पार्टी संस्कृति का संकेत दिया है। खड़गे एक संदेश देने की कोशिश किया है कि पार्टी में असहमति को दबाया नहीं जाता है।

पार्टी में हर वर्ग को साधने की कोशिश

84 सदस्य जम्मू बॉडी में 39 सीडब्ल्यूसी सदस्य हैं( संशोधित कांग्रेस पार्टी संविधान के अनुसार सीडब्ल्यूसी में छात्र नेता शामिल होते हैं जिनमें निर्वाचित और मनोज दोनों सदस्य और पूर्व पार्टी प्रमुख और कांग्रेस प्राइम मिनिस्टर को रखा जाता है उस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह का नाम है)। खड़गे ने 18 पार्टी नेताओं को स्थाई आमंत्रित सदस्यों, विभिन्न राज्यों, विभागों और पार्टी कार्यों के 14 प्रभारी, 9 विशेष आमंत्रित सदस्यों और चार पूर्व कार्यालय सदस्यों यानि एनएसयूआई, युवा कांग्रेस,महिला कांग्रेस और कांग्रेस सेवादल प्रमुखों के रूप में समायोजित किया है।

इन दिग्गजों को सीडब्ल्यूसी की सूची में नहीं मिली जगह

राजनीतिक रूप से वास्तविक एकमात्र अंतर यह है कि 39 सीडब्ल्यूसी सदस्य और बाकी को उनके विशेष दायित्व से हटा दिए जाने के बाद वे अपेक्स बॉडी के सदस्य नहीं रहेंगे। वही पार्टी में हरीश रावत, पवन बंसल, मोहन प्रकाश, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी, तारीक अहमद जैसे नेताओं को दिग्गज माना जाता है। इन नेताओं को स्थाई आमंत्रित सदस्यों की सूची में रखा गया है।ये सीडब्ल्यूसी के पुर्णरुपेन दावेदार नहीं माने जा रहे थे।

पुराने को तवज्जो, नए चेहरों को भी मौका

कहा जा सकता है की नई टीम में खड़गे ने पार्टी के पुराने और नेताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है, जिसमें पार्टी के पुराने नेताओं दिग्विजय सिंह पी के चिदंबरम, एके एंटनी,जयराम रमेश,सलमान खुर्शीद ,अंबिका सोनी मीरा कुमार, तारीक अनवर आदि को बनाए रखने और सचिन पायलट, ताम्रध्वज साहू, चरणजीत सिंह चन्नी रघुवीर रेड्डी अभिषेक मनु सिंघवी, कामेश्वर पटेल, सैयद नासिर हुसैन,गौरव गोगोई एस मालवीय और जगदीश ठाकोर जैसे नए चेहरे को लाकर संतुलन बनाने की कोशिश की है।

राहुल के करीबियों को भी मिली जगह

सूची में राहुल के करीबी माने जाने वाले प्रवीण चक्रवर्ती का नाम गायब है। चक्रवर्ती वर्तमान में एआईसीसी के डाटा एनालिटिक्स विभाग के प्रमुख हैं, हालांकि राहुल के करीबी माने जाने वाले कई पार्टी नेताओं जितेंद्र सिंह रणधीर सिंह,रणदीप सिंह सुरजेवाला, के सी वेणुगोपाल,राजीव शुक्ला, सचिन राव के राजू और डॉक्टर अजय कुमार को जिम्मेदारी दी गई है। इनमें से कुछ लोग पहले से ही पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर हैं।

 

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