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संसद में रार : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा हम सौदा नहीं करते ,मोदी जी चुप्पी तोड़िये

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अखिलेश अखिल 
संसद में आज भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान जारी है। संसद में कोई काम नहीं। तमाम जनहित से जुड़े बिल पेंडिंग पड़े हैं। बिलों के पास होने से जनता की सहूलियतें बढ़ती लेकिन उसकी चिंता किसे है ? सत्ता पक्ष की अपनी कहानी है। उसे राहुल से माफ़ी मंगवानी है और इधर विपक्ष को अडानी मस्के की जांच के लिए जेपीसी की जरूरत है। बीजेपी के सांसद आज भी संसद के भीतर और बाहर राहुल गांधी माफ़ी मांगो के नारे लगाते रहे तो विपक्ष पूरी ताकत से जीपीसी की मांग करता रहा। कोई ठहरने को तैयार नहीं। रुकने को तैयार नहीं। इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अडानी के मसले पर प्रेस वार्ता की और कहा कि जो तमाशा हो रहा है उसका सच यही है कि सत्ता पक्ष चाहता है कि विपक्ष जेपीसी की मांग को वापस ले ले तो बीजेपी राहुल की माफ़ी वाली मांग को वापस ले लेगी। लेकिन हमें यह सौदा  मंजूर नहीं। राहुल तो कतई माफ़ी नहीं मांगेंगे क्योंकि उन्होंने कोई गलती ही नहीं की है और जेपीसी की मांग से कम हमें कुछ चाहिए नहीं।

जयराम रमेश ने कहा कि घोटाला केवल शेयर बाजार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पीएम मोदी और सरकार की नीतियों, नियत और इरादों से भी जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में जो कमेटी बैठाई गई है, उनमें जाने माने विशेषज्ञों की कमेटी हैं। यह समिति अडाणी केंद्रित कमेटी है। ये अडाणी से सवाल करेंगे। हम जो सवाल कर रहे हैं वो अडाणी से नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री से है। कमेटी और जेपीसी के बीच में यही मौलिक अंतर है।

जयराम ने कहा कि यह सवाल सुप्रीम कोर्ट की समिति सरकार से सवाल नहीं करेगी। वह सोचेंगे भी नहीं उनकी हिम्मत भी नहीं होगी। वह उन्हें क्लीन चिट दे देंगे। इन सवालों पर विचार करने के लिए। यह सिर्फ जेपीसी में ही उठाया जा सकता है। जेपीसी  में बीजेपी के अध्यक्ष होंगे। बहुमत भी उनकी ही होगी, लेकिन इसके बावजूद विपक्ष को एक मौका मिलेगा। इन सवालों को उठाने के लिए फिर सरकार की ओर से जवाब आएगा। इन सब को रिकॉर्ड किया जाएगा।

रमेश ने कहा कि 5 फरवरी से रोज हम तीन सवाल प्रधानमंत्री से पूछते आ रहे हैं। आज सौ सवाल पूरे हो गए हैं। यह सवाल हम अडाणी से नहीं पूछ रहे हैं, यह सवाल हम पीएम से पूछ रहे हैं, सरकार से पूछ रहे हैं। जयराम ने कहा कि 1992 में हर्षद मेहता घोटाले के समय विपक्ष की ओर से जेपीसी की मांग उठी थी। लेकिन सरकार ने इसका समर्थन नहीं किया था। दो तीन महीने बाद ही प्रधानमंत्री नरसिंह राव, वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मंजूरी दी थी और हर्षद मेहता घोटाले पर 1992 में जेपीसी का गठन हुआ था। इसके बाद रिपोर्ट आई उस पर कार्रवाई हुई। उस समय सेबी के अधिकार दिए गए। कैपिटल मार्केट को और मजबूत किया गया। 2001 में एक और घोटाला हुआ केतन पारिक घोटाला जब कांग्रेस विपक्ष में थी। अटल विहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। इसे लेकर प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह ने जेपीसी की मांग की थी, लेकिन वाजपेयी नहीं माने थे। बाद में उनसे बातचीत की गई और फिर वे माने।

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