न्यूज़ डेस्क
देश के 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव चल रहे हैं। इससे पहले बिहार और महाराष्ट्र में हुए दल-बदल का असर राज्यसभा चुनाव में होता दिख रहा है। इन दोनों राज्यों के सियासी घटनाक्रमों से राज्यसभा में एनडीए को मामूली बढ़त मिल सकती है। हालांकि भाजपा पहले की तरह 28 सीटें आराम से जीत रही है। ओडिशा में पहले की तरह बीजेडी के एक सीट देने पर भाजपा को एक सीट का फायदा हो सकता है। वहीं एनडीए में भाजपा के सहयोगी दलों की सीटों में भी मामली बढ़त होती दिख रही है। इसी तरह कांग्रेस पहले की तरह 10 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है।
महाराष्ट्र में दिग्गज नेता अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन को एक सीट का झटका लग सकता है। दरअसल, महाराष्ट्र में 6 सीटों पर चुनाव होने हैं। यहां राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए 41 वोट की जरूरत है, जहां एनडीए के पास 198 विधायक है। भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ यहां चार सांसद आराम से बना रही है। इसके बाद 34 वोट बचे हुए हैं। ऐसे में पांचवी सीट के लिए महज 7 वोट कम पड़ रहे हैं।
वहीं कांग्रेस के पास एक सीट जीतने बाद शिवसेना उद्धव, एनसीपी शरद पवार व अन्य सहयोगी दलों के करीब 36 वोट है। इंडिया गठबंधन का दूसरा संयुक्त उम्मीदवार जिताने के लिए पांच वोट की जरूरत है। इस सीट पर चव्हाण के पाला बदलने से उनके समर्थक विधायकों के जरिये समीकरण बदलते दिख रहे हैं, जिसकी वजह से एनडीए का उम्मीदवार जीत हासिल कर सकता है।
जबकि बिहार में नीतीश कुमार के वापस आने से एनडीए की एक सीट बढ़ती दिख रही है। इधर, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की स्थिति जैसी है, वैसी ही रहने वाली है। तेलंगाना में कांग्रेस को दो सीट का फायदा तो गुजरात में इतना ही नुकसान हो सकता है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस एक सीट जीतती दिख रही है। यहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
राजस्थान व मध्यप्रदेश से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के पास एक सीट जीतने से करीब 20 वोट अतिरिक्त है। ऐसे में चुनाव के समय विधायकों के क्रॉस वोटिंग का खतरा नहीं है। राजस्थान में भले ही सरकार भाजपा को बन गई हो, लेकिन 2024 के राज्यसभा चुनाव में कोई असर नहीं दिखने वाला है। राजस्थान में भाजपा के पास 115 और कांग्रेस व सहयोगी के 70 विधायक है। फिलहाल भाजपा पहले की तरह दो और कांग्रेस एक सीट जीत सकेगी।
मध्यप्रदेश से भाजपा के 4 और कांग्रेस एक राज्यसभा सांसद का कार्यकाल अप्रेल में समाप्त हो रहा है। यहां भाजपा के 163 और कांग्रेस के 66 विधायक है। विधानसभा नतीजों के हिसाब से भाजपा वैसे तो चार सीट जीतती दिख रही है।
बिहार में 6 सीटों पर चुनाव होना है।
वर्तमान में भाजपा, कांग्रेस के पास एक-एक, जेडीयू और आरजेडी के पास दो-दो सीटें है। भाजपा के पास पर्याप्त संख्या में विधायक होने के चलते उसे दो सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में एक सीट का नुकसान उसके सहयोगी जेडीयू को उठाना पड़ेगा। वहीं इंडिया गठबंधन में शामिल आरजेडी दो सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखती दिख रही है। जबकि कांग्रेस को आरजेडी व अन्य सहयोगी दलों के वोट से एक सीट मिल सकती है।
महाराष्ट्र में बार-बार दल-बदल से राज्यसभा के समीकरण भी गड़बड़ा रहे हैं। यहां 6 सीटों पर चुनाव होना है। फिलहाल भाजपा के 3, शिवसेना उद्धव, एनसीपी शरद पवार और कांग्रेस के पास एक-एक सांसद है। नए समीकरणों से सरकार में शामिल भाजपा के 104, शिवसेना शिंदे के 39, एनसीपी अजीत के 41 और 12 निर्दलीय है। इनकी संख्या 198 होती है। जबकि इंडिया में शामिल कांग्रेस के 44, शिवसेना उद्धव के 17, एनसीपी शरद के 12, सपा के 2, पीडब्ल्यूपीआई व सीपीएम के 1-1 विधायक है। इनकी संख्या 77 होती है।
कर्नाटक में चार सीटों पर चुनाव होने हैं। फिलहाल कांग्रेस के पास तीन और भाजपा के पास एक सीट है। आंकड़ों को देखते हुए यहां से कांग्रेस अपनी तीनों और भाजपा एक सीट पर कब्जा बरकरार रखती दिख रही है।