न्यूज डेस्क
अभी हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी ने कहा था कि 52 साल से मेरे पास घर नहीं है। राहुल गांधी के इस बयान की अहमियत अब और भी बढ़ गई है। राहुल ने सही कहा है कि बावन साल से उनका अपना कोई घर नहीं है। दरअसल राहुल की लोकसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद उन्हें घर खाली करने का नोटिस दिया गया है। मोदी सरकार ने राहुल का घर खाली करने का आदेश देने में तनिक भी देर नहीं लगाई है। हालांकि राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखकर खुद ही नियम के मुताबिक घर खाली करने की बात कही है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि पांच दशक तक देश पर राज करने वाले गांधी परिवार के पास अपना घर क्यों नहीं है। दरअसल देश की सेवा में गांधी-नेहरू परिवार ने त्याग के कई उदाहरण पेश किए हैं। प्रयागराज में आनंद भवन नाम से गांधी नेहरू परिवार का पुश्तैनी भव्य घर था। लेकिन गांधी नेहरू परिवार ने आनंद भवन को दान में दे दिया। और आज ऐसे दानी परिवार से आने वाले राहुल गांधी का सरकारी घर खाली कराया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ‘मेरा घर राहुल गांधी का घर’ नाम से कैंपेन चलाया है। कांग्रेस के नेता अजय राय ने भी अपने घर पर ये पोस्टर लगाया है
जिस आनंद भवन को गांधी नेहरू परिवार ने हंसते हंसते दान कर दिया। उसकी भव्यता और विशालता के बारे में आप जानकर हैरान रह जाएंगे। मोतीलाल नेहरू ने 7 अगस्त 1899 में 20 हज़ार रुपए में ये बंगला राजा जयकिशन दास से खरीदा था। 19 बीघे के विशाल कैंपस में आनंद भवन बनाया गया है। विरासत में बचे आनंद भवन को इंदिरा गाँधी ने एक नवंबर, 1970 को सरकार को दान कर दिया। 1971 में आनंद भवन को एक स्मारक संग्रहालय के रूप में दर्शकों के लिए खोल दिया गया।
आनंद भवन के बराबर ही स्वराज भवन भी मोतीलाल नेहरू की संपत्ति हुआ करती थी। स्वराज भवन के ऐतिहासिक इमारत को मोतीलाल नेहरू ने बनवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। आनंद भवन में जाने से पहले स्वराज भवन में ही मोती लाल नेहरू और उनका परिवार रहा करता था। अब स्वराज भवन को भी एक संग्रहालय बना दिया गया है।
यानी नेहरू गांधी परिवार ने अपने दोनों भवनों को देश की सेवा में दान कर दिया। लेकिन दुख की बात ये है कि आज इस परिवार के वारिस राहुल गांधी से सरकार उनका घर खाली करवा रही है। गांधी नेहरू परिवार के बलिदान को शायद देश की सरकार ने भुला दिया है।अगर उनके बलिदान की तनिक भी याद रहती तो शायद केंद्र सरकार राहुल के साथ ऐसा व्यवहार ना करती।