विकास कुमार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिल गई है। आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है।कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश में कांग्रेस नेता की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया है क्योंकि यदि सजा एक दिन भी कम होती तो अयोग्यता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं होता। ट्रायल जज से कम से कम यह अपेक्षा की जाती है कि वह गैर संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा देने के कारण बताएं। हालांकि, अपीलीय अदालत और हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं,लेकिन इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे मामलों में सार्वजनिक व्यक्ति से कुछ हद तक सावधानी बरतने की अपेक्षा की जाती है।
राहुल गांधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। सिंघवी ने सुनवाई के दौरान ये दलील दी है कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है,और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया। राहुल ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया,यह 13 करोड़ लोगों का एक छोटा सा समुदाय है और इसमें कोई एकरूपता या समानता नहीं है। इस समुदाय में केवल वही लोग पीड़ित हैं जो भाजपा के पदाधिकारी हैं और मुकदमा कर रहे हैं। जज इसे नैतिक अधमता से जुड़ा गंभीर अपराध मानते हैं,यह गैर-संज्ञेय और जमानती अपराध है। मामले में कोई अपहरण, बलात्कार या हत्या नहीं की गई है। यह नैतिक अधमता से जुड़ा अपराध कैसे बन सकता है? लोकतंत्र में हम असहमति रखते हैं,राहुल गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं,राहुल गांधी पहले ही संसद के दो सत्रों से दूर रह चुके हैं।
वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से कांग्रेस पार्टी को अच्छे संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछा है कि राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का फैसला काफी दिलचस्प है क्योंकि राहुल गांधी की सजा कम भी हो सकती थी। कोर्ट का मानना है कि अगर जज ने एक साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी अयोग्य नहीं ठहराए जाते।
वहीं इस फैसले के बाद कांग्रेस ने ट्वीट किया है कि यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। वाकई में इस फैसले से राहुल गांधी को बड़ी नैतिक ताकत मिल गई है।