महागठबंधन से नाता तोड़ बीजेपी के साथ जाकर वैसे तो नीतीश कुमार 9 वीं बार मुख्यमंत्री के पद की सपथ लेंगे। लेकिन इसमें से 6 बार वे बिहार में बीजेपी के समर्थन से ही मुख्यमंत्री बने हैं। राजनीतिक चर्चाओं के अनुसार नीतीश कुमार 28 फरवरी को बीजेपी के साथ सातवीं बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले सकते हैं।बीजेपी और जेडीयू दोनों दलों के बीच इस समय राजनीतिक मंथन चल रहा है कि नीतीश के बीजेपी के संग आने पर क्या-क्या डील हुई होगी, अगर फिर से नीतीश जी मुख्यमंत्री बनेंगे तो मुख्यमंत्री कौन होगा ?और बड़े-बड़े मंत्रालय किसके पास रहेंगे? साथ ही लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे के लिए भी किस बात पर सहमति बनी है?
नीतीश के सीएम बनने पर बीजेपी के दो उपमुख्यमंत्री
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाकर सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे।ये दोनों ही उपमुख्यमंत्री बीजेपी खेमे के होंगे।सूत्रों का कहना है कि इसबार विधानसभा भंग नहीं की जाएगी और चुनाव भी नहीं कराया जाएगा।हालांकि एनडीए समूह के नेताओं द्वारा नीतीश कुमार को यह प्रस्ताव दिया गया था की लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार में विधानसभा के भी चुनाव करवा दिए जाएं।लेकिन इस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई। गौरतलब तलब है किबिहार में वैसे भी अगले साल असेंबली इलेक्शन होना है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि बीजेपी किसी भी तरह की जल्दी बाजी करने के मूड में नहीं है और फिलहाल पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर रखने का प्लान है।
हर चार विधायक में से एक के लिए मंत्री पद
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी एक बड़ा गेम प्लान के तहत हो रहा हैं। यह प्रक्रिया विधानसभा अध्यक्ष के नामांकन के साथ शुरू होगी और कैबिनेट में फेरबदल तक चलेगी। बीजेपी नेताओं को साधने के लिए हर चार विधायकों में से एक के लिए मंत्री पद देना तय हुआ है। ध्यान देने वाली बात यह है कि नीतीश की घर वापसी की शर्तों में जेडीयू को मिलने वाले लोकसभा सीटों में कटौती भी शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत दर्ज की थी।लेकिन इस बार उसे एनडीए की तरफ से 12- 15 सीट ही मिलने के संकेत हैं। राज्य में एनडीए सहयोगियों को संतुष्ट रखने के लिए सीट शेयरिंग का यही फार्मूला तय हुआ है ।