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संसद का विशेष सत्र :और पीएम मोदी ने पंडित नेहरू और डॉक्टर आंबेडकर को भी याद किया —

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न्यूज़ डेस्क 

प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने भाषण में कई ऐतिहासिक पहलुओं की चर्चा की और इतिहास के कई मुद्दों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू की भी खूब प्रशंसा की और डॉक्टर आंबेडकर को भी याद किया और उनके योगदान की सराहना भी की। उन्होंने इंदिरा गाँधी पर भी बात की और संसद पर हुए  हमले से लेकर कई और महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया।              
         पीएम मोदी ने कहा कि इसी सदन में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर अंतिम मुहर लगाई थी। इसी सदन में अनुच्छेद 370 हटाने, वन पेंशन-वन टैक्स…जीएसटी लागू करने और वन रैंक-वन पेंशन का फैसला भी हुआ। गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला भी यहीं हुआ।
                     पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं और ये सदन, लोकतंत्र की ताकत हैं और लोकतंत्र का साक्षी है। इसी सदन में चार सांसदों वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसदों वाली पार्टी विपक्ष में होती थी। इसी सदन में एक वोट से सरकार गिरी थी। जब नरसिम्हा राव घर जाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन इसी सदन की ताकत से वह अगले पांच साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बने। 2000 की अटल जी की सरकार में तीन राज्यों का गठन हुआ। जिसका हर किसी ने उत्सव मनाया, लेकिन एक राज्य तेलंगाना के गठन के समय खून-खराबा भी देखा। इसी सदन ने कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी को खत्म किया। इसी सदन के सदस्यों ने कोरोना काल में सांसद फंड का पैसा जनहित में दिया।
                      पीएम मोदी ने पंडित नेहरू के नेतृत्व में बनी पहली सरकार की तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि ‘पंडित नेहरू के कार्यकाल के दौरान जब बाबा साहब भीमराव अंबेडकर मंत्री थे तो देश में बेस्ट प्रैक्टिस को लागू करने की दिशा में बहुत काम हुआ। अंबेडकर हमेशा कहते थे कि देश में सामाजिक समानता के लिए देश में औद्योगीकरण होना बेहद जरूरी है। उस समय जो उद्योग नीति लाई गई थी, वो आज भी उदाहरण है। लाल बहादुर शास्त्री ने 65 के युद्ध में देश के जवानों को इसी सदन से प्रेरित किया था और यहीं से उन्होंने हरित क्रांति की नींव रखी थी।
बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया गया। इसी सदन में देश के लोकतंत्र पर आपातकाल के रूप में हुआ हमला भी देखा था। इसी सदन में मतदान की उम्र 21 से 18 करने का फैसला किया गया और युवा पीढ़ी को लोकतंत्र का हिस्सा बनाया गया।

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