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संताल परगना से विधानसभा में कभी सीट हुआ करता 16 लेकिन जीतने वाले विधायकों की संख्या होती थी 18

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1957 में राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, जामताड़ा, सारठ, रामगढ़ व महगामा एकल सदस्यीय क्षेत्र था।वहीं, नाला, देवघर, दुमका. पाकुड़, दुमका, नाला एवं गोड्डा की एक-एक सीट एसटी के लिए व एक- एक जनरल के लिए था।

देश की आजादी के बाद शुरुआती दो दशकों में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्राें का हर पांच साल पर हो जाया करता था।इसलिए लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र का नाम और क्षेत्र की परिधि बदलती रहती थी। पहली बार 1952 में बिहार विधानसभा काg HB⁰ चुनाव हुआ।तब पूरे संताल परगना क्षेत्र से 18 विधायक चुनकर सदन तक पहुंचे थे, लेकिन विधानसभा क्षेत्र महज 16 थे।

पोड़ैयाहाट सह जरमुंडी तथा मधुपुर एवं सह सारठ दो-दो सदस्यीय jविधानसभा क्षेत्र थे, जहां से एक-एक सदस्य आरक्षित कोटि से होते थे जबकि, एक-एक सीट अनारक्षित hmmरहता थे।पोड़ैयाहाट सह जरमुंडी से एक सदस्य एसटी कोटि से चयनित हुए थे, जबकि मधुपुर सह सारठ से एक सदस्य एससी कोटि से. उस चुनाव में संताल परगना से राजमहल दामिन, पाकुड़ दामिन, गोड्डा दामिन, , गोड्डा, रामगढ़, दुमका, जामताड़ा, मसलिया, शिकारीपाड़ा, महेशपुर, पाकुड़, राजमहल एवं देवघर विधानसभा क्षेत्र एक सदस्यीय तथा पोड़ैयाहाट सह जरमुंडी व मधुपुर सह सारठ दो-दो सदस्यीय थे। इसके बाद जब 1957 व 1962 का चुनाव हुआ, तो यहां से चुनकर जानेवाले विधायकों की संख्या होता था 18।

1957 में राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, जामताड़ा, सारठ, रामगढ़ व महगामा एकल सदस्यीय विधानसभा क्षेत्र था। वहीं, नाला, देवघर, दुमका, गोड्डा व पाकुड़ दो-दो सदस्यीय विधान सभा क्षेत्र थे। पाकुड़, दुमका, नाला एवं गोड्डा की एक-एक सीट एसटी के लिए व एक- एक सीट जनरल के लिए था।वहीं, देवघर की एक सीट एससी व दूसरा सीट जनरल था।

संताल परगना से तब नौ एसटी व एक विधानसभा क्षेत्र एससी के लिए आरक्षित रखा गया। उस वक्त एसटी के लिए रिजर्व क्षेत्र थे- बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, रानीश्वर, दुमका, रामगढ़ व पोड़ैयाहाट।मधुपुर सीट एससी के लिए आरक्षित था।शेष राजमहल, पाकुड़, नाला, जामताड़ा, सारठ, देवघर, जरमुंडी, गोड्डा व महगामा सामान्य सीट 5है। इस चुनाव में मसलिया की जगह रानीश्वर नया क्षेत्र अस्तित्व में आया था। 1967 के चुनाव में मधुपुर सीट को BC सामान्य घोषित कर दी गया, जबकि पोड़ैयाहाट की सीट एसटी के लिए ही रिजर्व रही थी। इस बार रानीश्वर सीट विलोपित हो गया था, जबकि जामा सीट अस्तित्व में आ गया था, जो कि एसटी के लिए आरक्षित था। यानी 1967 में एसटी के लिए आठ सीटों को रिजर्व रखा गया, जबकि एससी के लिए मधुपुर की जगह इस बार अकेला देवघर सीट को आरक्षित किया गया। शेष नौ सीटें को जनरल रखा गया था।

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