Homeदेशकेंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी सरकार पर जेडीयू का बढ़ता दवाब

केंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी सरकार पर जेडीयू का बढ़ता दवाब

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18 वीं लोकसभा के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बना लेने के साथ ही केंद्र में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार बनी है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पिछली दो सरकारों और वर्तमान सरकार में एक बड़ा अंतर यह है कि पिछली दो सरकारों में विपक्ष तक नरेंद्र मोदी के समक्ष कोई बड़ी परेशानी में डालने वाला काम करने से पहले सौ -सौ बार सोचता था कि किसे मुद्दा बनाएं और किसे नहीं।लेकिन वर्तमान सरकार में विपक्ष तो जातिगत जनगणना और अग्निवीर जैसा मुद्दा उठा रहे हैं ,एनडीए के घटक दल भी तरह-तरह से मुद्दे बनाकर नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने लगे हैं, क्योंकि इस बार लोकसभा में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को सरकार में उनकी खुद की पार्टी भारतीय जनता पार्टी बहुमत से 32 सीट पीछे 240 सीटों पर ही सिमट गई है।नरेंद्र मोदी की सरकार के गठन के वक्त ही विभिन्न राजनीतिक पंडितों के द्वारा यह कहा जा रहा था कि मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार की बैसाखी जेडीयू और टीडीपी के अध्यक्ष नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की दया पर निर्भर है। वे जब तब अपने हित में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव बनाएंगे और हित साधन न होने की स्थिति में सरकार को गिरा देने जैसे कदम भी उठा सकते हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के गठन के 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। फिलहाल बजट के समय आंध्र प्रदेश के लिए बड़ा शेयर लेने के अलावा चंद्रबाबू नायडू की तरफ से नरेंद्र मोदी को ज्यादा परेशानी में डालने वाला कार्य नहीं किया जा रहा है।अलबत्ता दूसरी तरफ नीतीश कुमार के द्वारा बजट के समय बिहार के लिए बड़ा हिस्सा लेने के बावजूद केंद्र के नरेंद्र मोदी की सरकार पर कुछ नहीं तो कम से कम मानसिक परेशानी में डालने वाला कार्य छोटे – छोटे अंतराल पर लगातार किया जा रहा है। ऐसे में सवाल नरेंद्र मोदी के बचे शेष कार्यकाल और उनके राजनीतिक क्रिया कलापों को लेकर है उठाने लगा है।आइए जानते हैं जेडीयू के अड़ंगे और इससे बचने के पीएम मोदी के प्रयासों के बारे में।

जातिगत गणना को लेकर विपक्ष के सुर के नीतीश कुमार सरकार के मंत्रियों के सुर मिलने और तेजस्वी से मुलाकात के बाद जब उनके एक बार फिर से पलटी मारकर आरजेडी के खेमे में जाने की बात चली थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे नाराज हो गए थे तब नीतीश कुमार ने खुद ही अब कहीं और नहीं जाने तथा एनडीए में ही बने रहने की बात कही थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने खुद तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को परेशानी में डालने वाला वक्तव्य देना बंद कर दिया है लेकिन अब उनकी तरफ से उनके पार्टी के नेता और मंत्रियों के भोंपू इस मामले में बजने लगे हैं।

जनता दल यूनाइटेड के महासचिव बने श्याम रजक ने अभी हाल ही में बिहार सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया है।

श्याम रजक के इस वक्तव्य का विशेष प्रभाव केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर पड़ता नहीं देख,जनता दल यूनाइटेड के खेमे से बिहार सरकार में मंत्री बने जमा अहमद की तरफ से एक दूसरा बड़ा धमाका यह कहकर कर दिया गया कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल है। साथ ही उन्होंने यह कहकर भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को सकते में लाने का प्रयास किया कि अगर नीतीश कुमार का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया जाता है ,तो इन्हें पक्ष और विपक्ष सभी का समर्थन मिलेगा कांग्रेस भी नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने में मदद कर सकती हैं।

जेडीयू कोटे के मंत्री जमा खान के इस वक्तव्य को लेकर बीजेपी ने भी पलटवार किया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय आलोक ने कहा कि फिलहाल केंद्र में प्रधानमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है।बीजेपी के इस पलटवार के बाद अब जेडीयू ने एक नया तरीका ईजाद किया।गत शनिवार को कार्यकारिणी की पटना में आयोजित मीटिंग के दौरान पार्टी सचिव की तरफ से जगह-जगह पर पोस्टर लगाया गया था ,जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग वाला स्लोगन लिखा हुआ था।

जनता दल यूनाइटेड की तरफ से भले ही समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने का प्रयास किया जाता रहा हो ,लेकिन खुद प्रधानमंत्री ने ऐसे किसी भी दबाव से साफ – साफ इनकार किया है।गुजरात की एक सभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन पर घटक दलों के किसी भी नेता के गैर वाजिब बातों का कोई दवाब नहीं पड़ता है, उनके ऊपर सिर्फ एक ही दबाव काम करता है और वह है देश की 140 करोड़ जनता की भलाई के लिए नीति बनाने और उसके क्रियान्वयन करने का दबाव।

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