विकास कुमार
बिहार में दलितों और मुस्लिमों की हालत को लेकर प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में सबसे खराब हाल मुस्लिमों का हैं,लेकिन नीतीश और तेजस्वी जाति की राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि जाति गणना का विरोध नहीं करना चाहिए,बल्कि गरीबों की हालात बदलने पर जोर देना चाहिए। पीके ने कहा कि नीतीश और तेजस्वी जाति की राजनीति में सबको उलझाना चाहते हैं,लेकिन इससे बिहार का विकास नहीं होगा।
ये बिल्कुल सही तर्क है कि अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी की गणना तो आजादी के बाद से ही हो रही है,लेकिन अभी भी बिहार में अनुसूचित जाति का एक बड़ा हिस्सा भीषण गरीबी से जूझ रहा है इसलिए प्रशांत किशोर ये तर्क दे रहे हैं कि दूसरी जातियों की गणना से भी बिहार में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा। प्रशांत किशोर का तर्क है कि बिहार के 13 करोड़ लोग जनगणना के मुताबिक सबसे गरीब और पिछड़े हैं। ये जानकारी सरकार के पास है लेकिन सरकार हालात को सुधारने के लिए कुछ नहीं कर रही है। पीके ने जाति गणना का विरोध करने वाले लोगों से भी अपील की है,उन्होंने कहा कि समाज में कोई वर्ग सही मायने में अगर पीछे छूट गया है तो उनके सर्वे करवाने का विरोध नहीं करना चाहिए। प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश सरकार जनता को उलझाने का दांव चल रही है। सरकार की मंशा है कि आधे लोग जाति गणना के पक्ष में और आधे लोग इसके विपक्ष में लग जाएं और बिहार में पढ़ाई, रोजगार और गरीबी की चर्चा खत्म हो जाए। प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में जाति की आग लगाकर अपनी रोटी सेंक कर लोग फिर से एक बार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
जाति की राजनीति की वजह से बिहार पहले से ही बदहाली में नंबर वन पर पहुंच गया है। अगर आगे भी जाति की राजनीति ही चलती रही तो बिहार का दिवालिया होना तय है।