अखिलेश अखिल
राजनीति कितनी दुष्ट होती है अच्छे -अच्छे लोगों को भी झुका देती है। -बड़े बड़े नेताओं के ऐठन को शांत कर देती है यह भी कहती है कि जब राजनीति -धर्म की जगह फिर जो इसकी बात करता है वह सबसे बड़ा धोखेबाज है। राजनीति तो ठगिनी है। यहाँ कोई आदर्श होता नहीं। कोई शुचिता और शील की बात नहीं होती। यहाँ हर कुछ फरेब है और सब कुछ नाटक और तमाशा। नाटक ऐसा कि दर्शक उस पर फ़िदा हो जाए और झूठ फरेव कि कुछ समय के लिए जनता उसे अपना ईश्वर ही मान ले। हालांकि राजनीति की यह ताकत बहुत बिरले में होती है। प्रधानमंत्री मोदी में यह ताकत। है यही कि वे जो कुछ बोलते रहे हैं देश और समाज के लोग उनपर यकीन करते रहे है।
इसी साल 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद के खिलाफ बिगुल फूंका था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि परिवारवाद ने हमारे देश को नोंच लिया है। वर्तमान में परिवारवाद ने जिस तरह से देश को जकड़ के रखा है, इससे आम लोगों का हक छीना है। तब उनके इस भाषण की काफी चर्चा हुई थी। लगा था ये देश के ऐसे नेता हैं जो सब कुछ ईमानदारी से करना चाहते हैं।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण के खिलाफ जंग लड़ने की अपील की थी। अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कम से कम 12 बार परिवारवाद का नाम लिया था। विपक्षी पार्टियों पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था- परिवारवादी पार्टी लोकतंत्र में बीमारी है। यह प्रतिभाओं की दुश्मन होती है। प्रधानमंत्री इसके बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई रैलियों में परिवारवाद के मुद्दे को उठा चुके हैं। पार्टी ने विपक्षी पार्टियों के परिवारवाद को लेकर एक वीडियो स्टोरी भी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया था। भक्तो को लगा था रहे हैं। हालांकि भक्तों को बीजेपी के भीतर के परिवारवाद को कभी दिखती नहीं है। बीजेपी के दर्जनों नेताओं के भीतर परिवारवादी राजनीति चलती है। और सच तो यही है कि इसके पार्टी चल भी नहीं सकती। जब राजनीति जाति और धर्म के इर्द गिर्द घूमती हो तो वहाँ परिवारवाद ऐसे ही खींचे चला आता है।
अब हालिया पांच राज्यों के चुनाव में जिस तरह से टिकट का बंटवारा है बीजेपी की कलई खुलती जा रही है और पीएम मोदी के बयान को खुद ही पीएम मोदी की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी उम्मीदवारों की सूची में परिवारवाद को जमकर तरजीह दी गई है। छत्तीसगढ़ में तो एक परिवार से 2-2 लोगों को टिकट दिया गया है। मध्य प्रदेश में 137 नामों में से 26 ऐसे हैं, जो परिवारवाद के सहारे राजनीति में आए हैं।
भोपाल की 8 में से 6 सीटों की घोषणा बीजेपी ने अब तक की है, जिसमें 3 सीटों पर पिता की विरासत संभाल रहे नेताओं को पार्टी ने टिकट दिया है। इनमें नरेला से विश्वास सारंग, भोपाल मध्य से ध्रुव नारायण सिंह और गोविंदपुरा से कृष्णा गौर का नाम शामिल हैं। विश्वास दिग्गज नेता कैलाश सारंग और ध्रुव नारायण गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं, जबकि कृष्णा गौर पूर्व सीएम बाबू लाल गौर की विरासत को संभाल रही हैं।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने रमन सिंह के साथ-साथ उनके भांजे विक्रांत सिंह को भी चुनाव के मैदान में उतारा है। रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और वे अपने पारंपरिक सीट राजनंदगांव से चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह दिलीप सिंह जूदेव परिवार से 2 लोगों को बीजेपी ने टिकट दिया है। चंद्रपुर से दिलीप सिंह जूदेव की बहु संयोगिता और कोटा से उनके छोटे बेटे प्रबल प्रताप को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है।
मध्य प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार को बीजेपी ने टिकट दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुव नारायण सिंह को भोपाल मध्य से टिकट मिला है। 2008-13 तक ध्रुव नारायण सिंह यहां से विधायक भी रह चुके हैं।
पूर्व सीएम बाबूलाल गौड़ की बहू कृष्णा गौड़ को भी बीजेपी ने गोविंदपुरा सीट से प्रत्याशी बनाया है. कृष्णा गौड़ 2018 में इस सीट से चुनाव जीत चुकी है। गौड़ भोपाल की महापौर भी रह चुकी हैं। फायरब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को भी बीजेपी ने खरगापुर से उम्मीदवार बनाया है। राहुल लोधी को हाल ही में शिवराज कैबिनेट में भी शामिल किया गया था. खरगापुर को उमा भारती का गढ़ माना जाता था।
इसके साथ ही कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग को नरेला से, शिवराज सिंह लोधी के बेटे वीरेंद्र लंबरदार को बंडा से संत्येद्र पाठक के बेटे संजय पाठक को विजय राघौगढ़ से टिकट दिया गया है। इसके साथ ही दर्जन भर ऐसे लोगों को भी टिकट दिया गया है जो परिवारवाद की उपज हैं।
बीजेपी ने राजस्थान में भी टिकट वितरण में परिवारवाद को काफी तरजीह दी है। सवाई माधोपुर से किरोड़ी लाल मीणा तो बामनवास से उनके रिश्तेदार राजेंद्र मीणा को उम्मीदवार बनाया गया है। लालसोट से बीजेपी ने रामविलास मीणा को उम्मीदवार बनाया है. मीणा भी अपने दादा के विरासत को संभाल रहे हैं। देवली-उनियारा सीट से गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को पार्टी ने टिकट दिया है. हालांकि, विजय बैंसला का क्षेत्र में विरोध भी शुरू हो गया है। विद्यानगर सीट से दीयाकुमारी को बीजेपी ने मैदान में उतारा है। दीया जयपुर विरासत से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता भवानी सिंह जयपुर के महाराज रह चुके हैं। चौधरी दयाराम बेनीवाल के बेटे संजीव बेनीवाल को भी बीजेपी ने भादरा सीट से उम्मीदवार बनाया है।