न्यूज डेस्क
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार एएनआई को दिये एक साक्षात्कार में चीन के साथ विवाद मुद्दे पर राहुल गांधी पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस पर बड़ा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि भारत चीन से नहीं डरता है। विदेशमंत्री ने साफ-साफ कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी या उन्हें चीन का नाम लेने से कोई डर नहीं लगता है।
कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। अगर हम उदार हैं तो LAC पर आर्मी को किसने भेजा? राहुल गांधी ने आर्मी को नहीं भेजा, नरेंद्र मोदी ने भेजा: ANI से बात करते हुए विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर pic.twitter.com/qXtCU0CMUL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 21, 2023
विदेश मंत्री ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना को चीन द्वारा सेना की तैनाती के जवाब में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भेजा था, राहुल गांधी ने नहीं। जयशंकर ने कहा कि विपक्ष को ईमानदारी से देखना चाहिए कि 1962 में क्या हुआ था।
मैं बताना चाहता हूं कि चीन ने 1962 में हमारी ज़मीन के एक टुकड़े पर कब्ज़ा कर लिया था और अब आप (विपक्ष) 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन उस ज़मीन पर ब्रिज बना रहा है जिस पर चीन ने 1962 में कब्ज़ा कर लिया था: विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर pic.twitter.com/9jm84cEtUs
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पैंगोंग झील का इलाका 1962 से चीन के अवैध कब्जे में: विदेश मंत्री
एएनआई से बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मोदी सरकार ने सीमा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए बजट को पांच गुना बढ़ा दिया है। जयशंकर ने यह भी कहा कि जिस इलाके में चीनी पैंगोंग झील पर पुल बना रहे हैं, वह 1962 के युद्ध के बाद से चीन के अवैध कब्जे में है।
सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए तो आपने(कांग्रेस) ऐसा क्यों नहीं किया?मैंने सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट देखा। मोदी सरकार में बजट 5 गुणा बढ़ा है।2014 तक यह 3-4 हजार करोड़ था और आज यह 14 हजार करोड़ है।हमारी सरकार इसको लेकर गंभीर है:विदेश मंत्री pic.twitter.com/c1EuybvfOU
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जयशंकर ने कहा कि वह क्षेत्र वास्तव में चीनी नियंत्रण में कब आया? उन्हें (कांग्रेस को) ‘सी’ से शुरू होने वाले शब्दों को समझने में कुछ समस्या होनी चाहिए। मुझे लगता है कि वे जानबूझकर स्थिति को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। चीनी पहली बार 1958 में वहां आए और कब्जा कर लिया। यह कब्जा अक्टूबर 1962 में हुआ था। अब आप 2023 में मोदी सरकार को एक पुल के लिए दोषी ठहराने जा रहे हैं, जिस पर चीनियों ने 1962 में कब्जा कर लिया था और आपके पास यह कहने की ईमानदारी नहीं है कि यह वह जगह है जहां यह हुआ था।
जयशंकर ने आगे कहा कि राजीव गांधी 1988 में बीजिंग गए,1993 और 1996 में समझौतों पर हस्ताक्षर किए। मुझे नहीं लगता कि उन समझौतों पर हस्ताक्षर करना गलत था। सीमा को स्थिर करने के लिए उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने यह भी कहा कि मांगें वाजिब नहीं हैं, केंद्र सरकार किसी समझौते पर नहीं आ पाएगी।
चीन सीमा पर शांतिकाल की सबसे बड़ी तैनाती: जयशंकर
कांग्रेस के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि मोदी सरकार चीन के मुद्दे पर रक्षात्मक और प्रतिक्रियाशील है? जयशंकर ने दावों को खारिज करते हुए कहा कि वर्तमान में चीन की सीमा पर शांतिकाल की सबसे बड़ी तैनाती है। उन्होंने कहा,’अगर मुझे चीन की इस बात का सार निकालना है, तो कृपया इस नैरेटिव को न खरीदें कि कहीं सरकार बचाव की मुद्रा में है,कहीं हम उदार हो रहे हैं। मैं लोगों से पूछता हूं कि क्या हम उदार हो रहे थे और भारतीय सेना को किसने भेजा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर। राहुल गांधी ने उन्हें (भारतीय सेना) नहीं भेजा। नरेंद्र मोदी ने उन्हें भेजा।
विदेशी मीडिया में मोदी विरोधी लेख राजनीति का हिस्सा
विदेशी मीडिया में पीएम मोदी पर कई विरोधी लेख छपे हैं, जॉर्ज सोरोस ने लोकतंत्र पर जो कहा उसके बारे में भी कहा गया कि पीएम मोदी की इमेज खराब हुई है, इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि एक कहावत है War by other means, इस पर जरा सोचिएगा। ये एक प्रकार की राजनीति है, जो दूसरे तरीके से की जा रही है। आखिर क्यों अचानक से इतनी रिपोर्ट और विचारों की बाढ़ आ गई है। ये पहले क्यों नहीं हो रहा था।
सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए तो आपने(कांग्रेस) ऐसा क्यों नहीं किया?मैंने सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट देखा। मोदी सरकार में बजट 5 गुणा बढ़ा है।2014 तक यह 3-4 हजार करोड़ था और आज यह 14 हजार करोड़ है।हमारी सरकार इसको लेकर गंभीर है:विदेश मंत्री pic.twitter.com/c1EuybvfOU
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1984 में दिल्ली में बहुत कुछ हुआ, उस पर क्यों नहीं बनी डॉक्यूमेंट्री: विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि 1984 में दिल्ली में बहुत कुछ हुआ था। उसपर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनी। आप कहते हैं ये टाइमिंग महज एक संयोग है। मुझे आप बताइए न ये क्यों हो रहा है। पता नहीं दिल्ली या भारत में चुनावी साल शुरू हुआ कि नहीं लेकिन लंदन और न्यूयॉर्क में शुरू हो चुका है।
ये बस केवल एक राजनीति है, जो उन लोगों के द्वारा की जा रही है जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक NGO, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं: BBC डॉक्यूमेंट्री पर विदेश मंत्री pic.twitter.com/ZSe1BckC2r
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