न्यूज डेस्क
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई। ये जमानत अभी मंगलवार तक की है। इस बीच खेड़ा की गिरफ्तारी नहीं होगी। बता दें आज दिल्ली पुलिस के सहयोग से असम पुलिस ने पवन खेड़ा को इस समय गिरफ्तार किया जब वे कांग्रेसी साथियों के साथ इंडिगो प्लेन से रायपुर के लिए उड़ान भरने वाले थे। रायपुर में कल से कांग्रेस का अधिवेश शुरू है जो तीन दिनों तक चलेगा। उन्हे जहाज पर नही चढ़ने दिया गया। बाद में यात्रा कर रहे कांग्रेसियों ने खूब हंगामा किया। इसके बाद असम पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके गुवाहाटी ले जाने को तैयार थी। फिर मामल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पूरे मामले को सीजेआई चंद्रचूड़ के सामने रखा। लंबी बहस हुई तब जाकर अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दी। लेकिन इसी बीच जब बार सिंघवी खेड़ा की वकालत कर रहे थे तब सीजेआई ने उनसे यह भी पूछा कि ये पवन खेड़ा कौन हैं? सिंघवी ने खेड़ा की पूरी जानकारी अदालत के सामने रखी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक पवन खेड़ा रेगुलर बेल के लिए अप्लाई करते हैं तब तक उन्हें गिरफ्तार न किया जाए। उन्हें मंगलवार तक गिरफ्तारी से राहत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट से आग्रह किया है कि पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पवन खेड़ा के खिलाफ दर्ज तीनों FIRs पर सुनवाई एक ही जगह होगी। इन आरोपों पर 3 साल और 5 साल की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम एफआईआर रद्द करने का आदेश नहीं दे सकते हैं।
पवन खेड़ा के खिलाफ दर्ज तीनों FIR पर सुनवाई कहां की जाएगी, इस पर अभी फैसला नहीं आया है। पवन खेड़ा के खिलाफ असम और यूपी के लखनऊ और वाराणसी में एफआईआर दर्ज हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब इन तीनों एफआईआर की सुनवाई एक ही जगह होगी।
गिरफ्तारी के ठीक बाद पवन खेड़ा ने मीडिया से कहा, “हम देखेंगे कि किस केस में वे हमें ले जा रहे हैं। यह एक लंबी लड़ाई है और हम लड़ने के लिए तैयार हैं।”
उधर पार्टी ने कहा- आवाज दबाने का यह अलोकतांत्रिक प्रयास है पवन खेड़ा की गिरफ्तारी से पहले असम की पुलिस ने दिल्ली पुलिस से सहयोग करने का अनुरोध किया था। उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी के नेता एयरपोर्ट पर फ्लाइट के सामने धरने पर बैठ गये। उनका कहना था कि यह कार्रवाई सरकार की तानाशाही और हमारी आवाज दबाने का गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक प्रयास है।