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बच्चे के बुखार में पेरेंट्स भूलकर भी करनें ये 4 गलत‍ियां, वरना और बिगड़ सकती है हालत

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बच्चे को बुखार आने पर पेरेंट्स तरह-तरह के उपाय करते हैं। हालांक‍ि, कुछ तरीके कारगर हो सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बच्चे की तकलीफ और बढ़ा देते हैं। पीडियाट्रिशियन डॉ. निमिषा अरोड़ा ने ऐसी ही कुछ तरीकों के बारे में7न बताया है, जिनकी वजह से बच्चा बुखार में और अधिक अनकंफर्टेबल हो जाता है। उन्होंने माता-पिता को ऐसी चीज़ों को बिल्कुल न करने की सलाह दी है। आइए जानते हैं इस बारे में व‍िस्‍तार से।

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. निमिषा अरोड़ा का कहना है कि अक्सर बच्चे को बुखार आने पर माता-पिता कुछ गलतियां कर बैठते हैं,ज‍िसकी वजह से बच्चा और भी ज्‍यादा अनकंफर्टेबल महसूस करने लगता है।
उनका कहना हैं कि जब बच्चे को बुखार होता है तो माता-पिता अक्सर पंखा और एसी बंद कर देते हैं, ताकि पसीना आए और बुखार उतर जाए। लेकिन ऐसा करना सही नहीं है। हां, अगर बच्चा कंपकंपा रहा हो या उसे ठंड लग रही हो तो कुछ देर के लिए फैन या एसी बंद किया जा सकता है। लेकिन लंबे समय तक सब कुछ बंद रखने से कमरे का तापमान बढ़ जाता है, ज‍िससे बच्चे को द‍िक्‍कत होती है।

उनका कहना है कि माता- पिता सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि बच्चे को बुखार में माता-प‍िता ज्‍यादा कपड़े पहनाने लगते हैं या फ‍िर उसे एक्स्ट्रा चादर ओढ़ा देते हैं, लेक‍िन ऐसा करने से शरीर में गर्मी ट्रैप हो जाती है और बाहर नहीं निकल पाती, जबकि बुखार कम करने के लिए हीट का बाहर निकलना जरूरी होता है। ओवरलेयरिंग के कारण यह प्रक्रिया रुक जाती है इसील‍िए पेरेंट्स ऐसा न करें।

पीड‍ियाट्रि‍शन कहती हैं क‍ि बच्चे की स्पॉन्जिंग के लिए हमेशा गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा माता – पिता एक बडी गलती यह भी करते हैं क‍ि वे बुखार में बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने की कोशिश करते हैं। ऐसा ब‍िल्‍कुल न करें। माता-प‍िता इस समय अपना ध्यान सिर्फ बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचाने पर रखें। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में ओरएस या नारियल पानी पिलाएं।

उनका कहना है कि अगर बच्‍चा खाने से मना कर रहा है, तो संभव है क‍ि उसकी तब‍ियत ठीक न हो। वह टीथिंग की वजह से असहज महसूस कर रहा हो, रात में ठीक से सोया न हो या फीडिंग ज्‍यादा हो गई हो। कभी-कभी बच्चे का ध्यान भटका होता है (डिस्ट्रैक्टेड रहते हैं) या फिर उन्हें खाने का टेस्ट, टेक्सचर या टेम्परेचर पसंद नहीं आता। ये सभी कारण बच्चे की भूख को प्रभावित कर सकते हैं।

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