न्यूज़ डेस्क
सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक को आम आदमी पार्टी ने ‘जुमला’ करार देते हुये ‘महिला बेवकूफ बनाओ’ विधेयक की संज्ञा दी है।संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन मीडिया से बात करते हुए आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, “यह निश्चित रूप से महिला आरक्षण विधेयक नहीं है, यह ‘महिला बेवकूफ बनाओ’ विधेयक है।”
उन्होंने कहा, ‘हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आये हैं तब से उन्होंने जो भी वादे किये थे उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ है।सिंह ने कहा, “यह उनके द्वारा लाया गया एक और ‘जुमला’ है। यदि आप विधेयक को लागू करना चाहते हैं, तो आप पूरी तरह से साथ खड़ी है, लेकिन इसे 2024 में लागू करें। क्या आपको लगता है कि देश की महिलाएं मूर्ख हैं?”
आप नेता ने कहा, “महिला विरोधी बीजेपी अब विधेयक के नाम पर एक और ‘जुमला’ लेकर आई है। देश की महिलाएं, राजनीतिक दल इन चुनावी हथकंडों को समझते हैं। इसलिए, हम कहते हैं कि अगर उनकी मंशा साफ है, तो 2024 में इसे लागू करें।”
महिला आरक्षण विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि आरक्षण 15 साल की अवधि तक जारी रहेगा और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के भीतर एससी और एसटी के लिए कोटा होगा। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि इस कानून के 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू होने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसे परिसीमन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही लागू किया जाएगा, संभवत: 2029 में इसे लागू किया जा सकता है।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि अपनी पार्टी की ओर से बिल के समर्थन में मैं खड़ी हूं। उन्होंने कहा कि हम एससी, एसटी और ओबीसी कोटा की मांग क्यों नहीं कर सकते। आइए एक संवैधानिक संशोधन करें।
लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान समाजवादी पाटी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि महिला आरक्षण बिल में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सपा की हमेशा से मांग रही है कि इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को भी शामिल किया जाए। जब बीजेपी सरकार का करीब 1 दशक पूरा होने जा रहा है तो अब सरकार को महिलाओं की याद आई है। सवाल यह है कि 2024 तक लोकसभा चुनाव में लागू हो पाएगा या नहीं। सरकार कब जनगणना करवाएगी। पीएम खुद अल्पसंख्यक महिलाओं के तीन तलाक के कानून की बात करते हैं तो मुझे उम्मीद है कि मुस्लिम महिलाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि 16 राज्यों में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद वहां कोई महिला सीएम नहीं है। बंगाल एकमात्र महिला सीएम वाला राज्य है। साथ ही उन्होंने राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का नेतृत्व करने के लिए बंगाल और ममता बनर्जी की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से लगातार महिलाओं को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। सरकार की तरफ से बार-बार दोहराया जा रहा है कि महिलाएं पुरुषों के बराबर नहीं है। काकोली घोष दास्तीदार ने महिला पहलवानों के उत्पीड़न के मुद्दे को उठाया। काकोली घोष ने कहा कि महिलाओं का उत्पीड़न करने वाले बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि आईआईटी खड़गपुर और इसरों की महिला वैज्ञानिकों को सैलरी नहीं मिल रही है।